नई दिल्ली: देश की शान-ओ-शौकत कहलाने वाली राजधानी दिल्ली की प्रदूषण के कारण विश्व में छवि खराब हो रही है। रोगियों खासकर श्वास संबंधी बीमार लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। सरकार के साथ-साथ चिकित्सक जगत भी इस वजह से चिंता ग्रस्त दिखाई दे रहा है। राजधानी को प्रदूषण मुक्त और लोगों रोगमुक्त बनाने की नीयत से दिल्ली-एनसीआर के सैकड़ों डॉक्टरों का समूह हाल ही में एक मंच पर सामने आया। डॉक्टरों ने संकल्प लिया कि अब इलाज के साथ-साथ लोगों को प्रदूषण के खिलाफ जागरुक भी करेंगे।

दिल्ली के पांच सितारा होटल में जुटे करीब 300 डॉक्टरों के समूह ने प्रदूषण से पैदा होने वाली बीमारियों, स्वाइन फ्लू और अस्थमा पर नियंत्रण के लिए इलाज के तरीकों और बचाव के उपायों पर चर्चा की। यह आयोजन फैमिली फिजिशियन फोरम और मेट्रो अस्पताल की तरफ से कडक़डड़ूमा में हुआ। विशेषज्ञों ने बताया कि स्वाइन फ्लू को लेकर डॉक्टरों को सचेत रहने की आवश्यकता है। टीकाकरण पर जोर देकर इन बीमारियों को रोका जा सकता है। इससे भी ज्यादा जरूरी बात चिकित्सकों ने लोगों को जागरुक करने की स्वीकारी।

टीबी मरीजों के बेहतर इलाज के लिए नई तकनीकों और दवाओं पर मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने कहा कि आजकल कई टेस्ट कराए जा रहे हैं, जिनकी जरूरत नहीं है। उनमें एक है ब्लड एलर्जी। इसकी कोई जरूरत नहीं है और न ही इससे कोई बीमारी पकड़ में आती है। इसके साथ वयस्कों में खाद्य पदार्थ से एलर्जी की आशंका बहुत कम होती है। इसके लिए भी टेस्ट की जरूरत नहीं है। अनावश्यक टेस्ट लिखने से भी डॉक्टरों को बचना चाहिए। कार्यक्रम में फैमिली फिजिशियन फोरम के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भनोट, सचिव डॉ. बीबी वाधवा, डीएमए के अध्यक्ष (निर्वाचित) डॉ. अश्विनी गोयल, पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरीश गुप्ता, डॉ. दीपक तलवार, डॉ. अभिनव भनोट, डॉ. सुनील सिंघल, डॉ. राहुल शर्मा, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी ने संबोधित किया। महापौर नीमा भगत, विधायक ओमप्रकाश शर्मा और यातायात पुलिस उपायुक्तदिनेश गुप्ता ने बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार रखे।