नई दिल्ली/अम्बाला: नरेंद्र मोदी सरकार की सस्ती दवाओं की फ्लैगशिप स्कीम के तहत जेनेरिक दवाओं की बिक्री दो गुना बढ़ गई है, जो इस बात को दिखाती है कि भारतीय लोगों के बीच ब्राण्डेड दवाओं के सस्ते वेरिएंट की पसंद बढ़ रही है ।
मेडिकेयर न्यूज़ के हाथ लगे आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को पिछले चार महीनों में, 200 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये रक़म 100 करोड़ थी ।सरकार को वर्ष 2020-21 में कुल 500 करोड़ की बिक्री की उम्मीद है, जो पिछले साल के 433 करोड़ से, लगभग 15 प्रतिशत अधिक है ।
जन औषधि स्कीम को लागू करने वाली सरकारी इकाई ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज़ ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन सिंह ने मेडिकेयर न्यूज़ को बताया, ‘हमने हर श्रेणी की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की है. ये कोई श्रेणी विशेष प्रवृति नहीं है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे लिए सभी श्रेणियों में अच्छी ग्रोथ दर्ज हुई है, एंटी-इनफेक्टिव (एंटीबेक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरेसाइटक दवाएं) रेस्पिरेटरी, गाइनेक और एनलजेसिक्स से लेकर कार्डियक और एंटी-डायबिटीज़ तक.’
सिंह ने कहा कि ये बढ़ोतरी, ‘इन बातों का नतीजा है कि हमने स्कीम को लगातार बढ़ावा दिया, दवाओं के दाम घटाए, और अपने आउटलेट्स पर दवाओं की उपलब्धता बढ़ाई. साथ ही हमें ब्राण्ड एम्बैसेडर पीएम मोदी और उनकी स्कीम का भी फायदा मिला ।
जेनेरिक दवाएं ब्राण्डेड दवाओं की उतनी ही असरदार विकल्प होती हैं, जो सस्ते विकल्प के तौर पर तब बनाई जाती हैं, जब ब्राण्डेड दवाएं एक निश्चित अवधि तक बाज़ार में अपनी विशिष्ट पकड़ बना चुकी होती हैं. मसलन: पैरासिटेमॉल क्रोसिन ब्राण्ड का एक जेनेरिक नाम है ।
साल 2017-18 में, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र का वार्षिक कारोबार 140 करोड़ रुपए था. जिसका मतलब है कि 2019-20 में इसकी आय लगभग 190 प्रतिशत का उछाल दिखाती है. जिन महीनों में बिक्री दोगुनी हुई है, वो देशभर में कोविड-19 महामारी के उभरने और फैलने से मेल खाते हैं ।