उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में नकली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है. औषधि प्रशासन विभाग पर जांच के नाम पर खानापूर्ति करने के आरोप लग रहे हैं.
जिले के करीब 1500 मेडिकल स्टोर में से मात्र 77 से ही दवाओं के ही नमूने लिए जा सके हैं. 30 नमूनों की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है.
सरकारी सुस्ती के कारण मेडिकल स्टोर संचालक और दवा कंपनियां मनमानी कर रहीं हैं. कोरोना महामारी के दौरान झांसी में नकली दवाएं भी धड़ल्ले से बेची गईं.
हालात यहां तक बिगड़े कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर जैसी दवा बाजार में खूब बिकी.
नकली सेनिटाइजर, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन भी बेचे गए. कमीशनखोरी का आलम यह है कि डॉक्टर मरीजों को महंगी दवाएं लिख रहे हैं. बाजार में ऐसी दवाएं भी धड़ल्ले से बिक रही हैं जिनके सैंपल तक फेल हो चुके हैं.
औषधि प्रशासन विभाग सैंपल लेने और दुकानों की जांच के नाम पर सुस्ती बरत रहा है. 30 नमूनों की रिपोर्ट लखनऊ प्रयोगशाला में लंबित है.