फॉलिकल्स कमजोर पडऩे पर होती है पीओआई
नई दिल्ली। पीओआई (प्रीमैच्योर मेनोपॉज) की समस्या से ग्रस्त महिलाओं को इसके बाद भी पीरियड आ सकते हैं। यह उनके प्रेग्नेंट होने में बाधक नहीं है। हालांकि, यह पता नहीं चल पाता कि पीओआई से ग्रस्त महिला को समस्या क्या है। अमूमन 40 साल की उम्र में कई महिलाओं को खुद ही यह अहसास हो जाता है कि उनकी गर्भधारण करने की क्षमता या फर्टिलिटी कम हो रही है। इसी दौरान माहवारी भी अनियमित हो जाती है। यह मेनोपॉज की शुरुआत का संकेत है। महिला को एक बार रजोनिवृत्ति हो जाए तो फिर उसे कभी नॉर्मल तरीके से पीरियड्स नहीं आते। वह प्रेग्नेंट भी नहीं हो पाती है। पीओआई का संबंध अंडाशय के अंदर कोश के रूप में मौजूद छोटी-छोटी थैलियों से होता है, जिनमें एग विकसित और परिष्कृत होते हैं। आमतौर पर एक महिला के शरीर में जन्म के समय से ही करीब 20 लाख फॉलिकल्स मौजूद होते हैं। ये बेहद सूक्षम बीज होते हैं, जो कोशों के रूप में विकसित होते जाते हैं। इनके ठीक तरह से काम नहीं करने या कमजोर पडऩे के कारण पीओआई होने की संभावना रहती है।
थैरेपी है लाभदायक
हालांकि, पीओआई से पीडि़त महिला के अंडाशय के कार्य को सामान्य तरीके से बहाल नहीं किया जा सकता, मगर प्रेग्नेंसी के अवसरों को बढ़ाया जा सकता है। कई महिलाओं का अंडाशय खुद ही पहले की तरह सामान्य काम करने लगता है और फर्टिलिटी फिर से कायम हो जाती है। अन्य महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कायम करने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट के साथ हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी लाभदायक है।