शिमला: दवा संगठन बेशक फार्मासिस्टों की अनिवार्यता समाप्त करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं लेकिन फार्मेसी काउंसिल की मजबूत उपस्थिति के आगे सरकार लगातार फार्मासिस्टों के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। ताजा जानकारी दवा उत्पादन के रूप में मशहूर राज्य हिमाचल प्रदेश से आ रही है। यहां थोक बिक्री दवा कारोबार में भी फार्मासिस्ट की अनिवार्यता लागू करने की तैयारी हो रही है। प्रदेश फार्मेसी काउंसिल जल्द ही अगले वर्ष तक प्रदेश में थोक दवा बिक्री पर नई शर्त लागू कर देगी। अभी तक अनुभव के आधार पर राज्य में थोक दवा बिक्री का काम चल रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। दवा की गुणवत्ता और बिक्री में वृद्धि को देखते हुए प्रदेश में यह कदम उठाया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा ने नई शर्त को स्वीकार कर राज्यों को अपने स्तर पर लागू करने के लिए भेज दिया है। अब प्रदेश फार्मेसी काउंसिल इस पर मुहर लगाएगी।
प्रदेश में करीब दो सौ होलसेल दवा व्यापारी है। जो अनुभव के आधार काम कर रहे हैं, लेकिन अच्छी दवा लोगों को मिले, इसके लिए फार्मासिस्ट को थोक बिक्री के लिए लगाना जरूरी माना जा रहा है। दवा बेचने की शर्त लगाने के बाद जो थोक बिक्री के लिए आगे आएगा, उनका लाइसेंस काउंसिल की लिस्ट में चेक किया जाएगा। यदि फार्मासिस्टों ने अपना पंजीकरण समय पर रिन्यु नहीं करवाया तो फार्मासिस्ट काउंसिल की सीनियोरिटी लिस्ट से उसका नाम कट जाएगा। फार्मासिस्ट अगर दोबारा से काउंसिल में पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो उन्हें दो हजाऱ रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा, लेकिन वह एंट्री फ्रेश मानी जाएगी। फार्मासिस्ट की कार्यप्रणाली पर नजर रखने के लिए पंजीकरण रिन्यू के दौरान उसके प्रमाणपत्रों की भी चेकिंग की जाएगी। थोक बिक्री करने को लेकर पंजीकरण सूची में चेक किया जाएगा कि फार्मासिस्ट पर कोई आरोप या कोई जांच तो नहीं चल रही है ताकि यह पवित्र पेशा बदनाम न हो।