रेवाड़ी। फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने प्रदेश के सभी जिलो में ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें पूरी करने की बात उठाई है। उन्होंने ज्ञापन में कहा कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। रेवाड़ी में अपनी मांगों को लेकर फार्मासिस्टों ने स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक के नाम उप सिविल सर्जन को ज्ञापन सौंपा। जिले के फार्मासिस्टों ने एसोसिएशन गवर्नमेंट फार्मासिस्ट हरियाणा के जिला प्रधान अनिल कुमार यादव की अध्यक्षता में अपनी मांगें उठाईं।

फार्मेसी ऑफिसर की लंबित मांगों को लागू करने की मांग

फार्मासिस्टों ने कहा कि उनकी एसोसिएशन लंबे समय से सरकार और स्वास्थ्य विभाग से मिलकर फार्मेसी ऑफिसर की लंबित मांगों को लागू करने की मांग कर रही है। उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री के साथ शिष्टमंडल की हुई बैठक में फार्मेसी ऑफिसर की मांगों को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी। इसके बावजूद इन मांगों को पूरा नहीं किया गया।

गौरतलब है फार्मेसी ऑफिसर स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं। डॉक्टर की अनुपस्थिति में संस्था का इंचार्ज होता है। दवा के साथ-साथ जन्म-मृत्यु पंजीकरण का डिप्टी रजिस्ट्रार होता है। इसके साथ-साथ पोस्टमार्टम ड्यूटी के अलावा कई अन्य जिम्मेदारी भी निभाता है। इसके बावजूद इस वर्ग की अनदेखी की जा रही है।

फार्मासिस्टों की ये हैं मांगें

फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिला प्रधान ने बताया कि प्रमोशन चैनल (पीसीआई की तर्ज पर) लागू किया जाए। फार्मासिस्ट को जोखिम भत्ता व मरीज देखभाल भत्ता दिया जाए। फार्मेसी ऑफिसर की वेतन विसंगति दूर करके 4600 जीपी (एफपीएल-7) एवं चीफ फार्मासिस्ट का ग्रेड पे 5400 जीपी (एफपीएल-9) 1 जनवरी 2016 से नोशनली दिया जाए।

इसके अलावा, फार्मेसी ऑफिसर की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता ड्रग कंट्रोल अधिकारी के समान है। इसी तर्ज पर फार्मेसी ऑफिसर को ग्रुप-बी राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दिया जाए। कार्य के लगातार बढ़ रहे बोझ को देखते हुए नए पदों का सृजन किया जाए।

आंदोलन का रास्ता अपनाने को होंगे मजबूर 

जिला प्रधान ने ज्ञापन के माध्यम से चेताया कि एसोसिएशन स्वास्थ्य विभाग से दोबारा मांग करती है कि उनकी लंबित मांगों को जल्द पूरा किया जाए। अगर विभाग ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।