नई दिल्ली। बाजार में आजकल बड़ी संख्या में बिना मंजूरी की  दवाएं बिक रही हैं। अब केंद्र बिना मंजूरी के दवाइयां बेचने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों पर जल्दी एक्शन लेगा। केंद्र सरकार उन उत्पादकों पर शिकंजा कसेगी जो बिना क्लिनीकल ट्रायल और मंजूरी के एमरजैंसी कांटरासैप्टिव, एंटी-ओबैसिटी और फर्टिलिटी फार्मुलेशन जैसी दवाएं बाजार में बेच रहे हैं। ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक एक्ट में यह संशोधन इसलिए लाया जाएगा ताकि कंपनियों की तरफ से दवाओं की क्वालिटी यकीनी की जा सके। जिसको बड़ी फार्मा कंपनियों के लेबल के साथ बेचा जाता है। यानी बिना मंजूरी दवा बेचने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों पर केंद्र चाबुक चलाने की तैयारी में हैं।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डी.सी.जी.आई.) के एक अधिकारी ने बताया कि हम एफआईआर दर्ज कर रहे हैं और जांच जारी है। हमने कई कंपनियों को ऐसी दवाइयों को बनाने और उनकी मार्कीटिंग करने को ले कर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने बताया कि जांच दौरान एक इंस्पेक्टर ने यह भी पाया कि इन दवाओं को बनाने के लिए चीन से सामान मंगवाया जा रहा था। यह सामान चीन से फूड आइटम्ज के रूप में मंगवाया जा रहा था। ड्रग्स और कॉस्मैटिक एक्ट में आते दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपए के जुर्माने की व्यवस्था है। हालांकि ऐसे मामलों में ज्यादातर उत्पादक ही दोषी पाए जाते हैं और बड़ी फार्मा कंपनियां मौजूदा कानून के अंतर्गत बच निकलती हैं। सेहत सचिव प्रीति सुडान ने सभी सूबों के सचिवों को पत्र लिख कर सूचित किया है कि ऐसी कंपनियों को पूरी जांच के बाद ही लाइसेंस दिया जाए।