मुंबई। रुपए के रिकॉर्ड लो लेवल पर जाने और कम वैल्यूएशन के चलते निवेशकों में फार्मा सेक्टर से पैसा बनाने की अधिक संभावना जगी है। मार्केट एनालिस्टों का कहना है कि स्मार्ट इनवेस्टर्स बैंकों और कंज्यूमर गुड्स कंपनियों से पैसा निकालकर उसे फार्मा कंपनियों में लगा रहे हैं। इसलिए पिछले हफ्ते के दौरान इन कंपनियों के शेयर प्राइस में अच्छी तेजी आई है।
बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स पिछले पांच ट्रेडिंग सेशंस में 4 पर्सेंट चढ़ा है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स में 2 पर्सेंट की गिरावट आई है। अरबिंदो फार्मा, बायोकॉन, कैडिला हेल्थकेयर, डॉ. रेड्डीज लैब्स, कैपलिन प्वाइंट और एबॉट इंडिया सहित दूसरे फार्मा स्टॉक्स में पिछले पांच दिनों में 7 से 12 पर्सेंट की उछाल दिखी है। इस बीच कंज्यूमर गुड्स इंडेक्स 5 पर्सेंट फिसला है और बैंकिंग इंडेक्स में 2.5 पर्सेंट की गिरावट आई है। इस बारे में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर रामदेव अग्रवाल ने कहा कि रुपये में तेज गिरावट और दवा कंपनियों के अमेरिकी बिजनेस के फंडामेंटल में सुधार की बात कहने के बाद महंगे प्राइवेट सेक्टर के बैंकों और कंज्यूमर स्टॉक्स से पैसा इनमें शिफ्ट हो रहा है। दवा कंपनियों के शेयर पिछले दो साल से अंडरपरफॉर्म कर रहे हैं। इस दौरान बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स में 30 पर्सेंट से अधिक की गिरावट आई है। दो साल पहले इस सेक्टर की ब्लूचिप कंपनियों में 24-25 के पीई पर ट्रेडिंग हो रही थी, वे एक महीना पहले 20 के पीई पर मिल रहे थे। फंड मैनेजरों का कहना है कि रुपये में गिरावट से दवा कंपनियों के मुनाफे में अच्छी बढ़ोतरी की संभावना बनी है। इसलिए इस सेगमेंट में निवेशक अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं।
रिलायंस म्यूचुअल फंड के शैलेश राज भान ने कहा कि अमेरिका में भारतीय दवा कंपनियों के लिए फुल अर्निंग साइकल रिवाइवल अगले साल-डेढ़ साल में दिखेगा। इस बीच, दवा कंपनियों का भारत में अच्छा प्रदर्शन बना हुआ है। इन कंपनियों पर पॉजिटिव असर दिखना शुरू हो गया है। इस साल 1 अप्रैल के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 10 पर्सेंट की गिरावट आई है। रुपये में गिरावट से फार्मा जैसे एक्सपोर्ट ओरिएंटेड सेक्टर को लाभ होगा। इन कंपनियों को काफी आमदनी अमेरिका से होती है। फाइजर, मर्क, स्ट्राइड्स फार्मा, शिल्पा मेडिकेयर, सुवेन लाइफ साइंसेज और अरबिंदो फार्मा के शेयर प्राइस में पिछले एक महीने में 20 से 35 पर्सेंट की तेजी आई है। भान ने बताया कि इनमें से कुछ कंपनियों में बड़ी कंज्यूमर फर्मों के मुकाबले 30-40 पर्सेंट कम वैल्यूएशन पर ट्रेडिंग हो रही है, जबकि कई मायनों में इनका बिजनेस कंज्यूमर कंपनियों जैसा है। इसलिए दवा कंपनियों में अभी निवेश करने से फायदा होगा।