फूड पॉइजनिंग होने पर एंटी बायोटिक लेने की जरूरत नहीं 
हिसार। एंटी बायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से होने वाले दुष्परिणाम से बचने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इस क्रम में वैज्ञानिकों ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जीवनदायी जीवाणु ढूंढ निकाले हैं। हिसार स्थित नेशनल सेंटर फॉर वेटरनरी टाइप कल्चर्स (एनसीवीटी) के विज्ञानियों ने ऐसे 150 जीवाणु भोजियों की खोज की है जो शरीर में जाकर बैक्टीरिया को खत्म कर देंगे। एनसीवीटीसी की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. तरुणा आनंद, प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. नितिन विरमानी और डॉ. वीके वैद्य 2013 से लगातार इस विषय पर अनुसंधान कर रहे हैं। अब उन्हें सफलता मिली है और शहर के एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से फूड पॉइजनिंग के बैक्टीरिया को खत्म करने वाले जीवाणु भोजी खोज निकाले हैं। ये फूड पॉइजनिंग के बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं। इस तहर के कई जीवाणु भोजी विज्ञानियों की टीम ने खोजे हैं, जो कई बीमारियों से लड़ सकते हैं। ये अति सूक्ष्म जीवाणु भोजी इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी के जरिये ही देखे जा सकते हैं। इन जीवाणु भोजियों का दक्षिण भारत में मछलियों की बीमारियों को दूर करने में प्रयोग किया गया है। पूर्वी यूरोप, रूस आदि देशों में इनसे ही उपचार किया जाता है। भारत सहित कई देशों में अभी तक एंटीबायोटिक से ही उपचार किया जाता है। यह मनुष्य और पशु दोनों के घातक है। एंटीबायोटिक के लगातार उपयोग से शरीर के अलग-अलग अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। एंटीबायोटिक शरीर के हितकारी जीवाणुओं को भी नष्ट कर देता है। इससे मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। सीनियर साइंटिस्ट डॉ. तरुणा आनंद का कहना है कि इन जीवाणु भोजियों का प्रयोग चूहों पर किया गया, जो सफल रहा है। आने वाले एक साल में इनका प्रयोग पशुओं व मनुष्यों में करने की योजना है। डॉ. तरुणा आनंद ने बताया कि ये जीवाणु भोजी इतने कारगर हैं कि चार घंटे में यह असर दिखाना शुरू कर देते हैं।
जीवाणु भोजियों का का भोजन बैक्टीरिया होता है। ये मनुष्य के शरीर में पहुंचकर उसी बैक्टीरिया को खत्म करते हैं जो इनका भोजन है। फूड पॉइजनिंग का कारण सालमोनेला और शीगेला बैक्टीरिया होते हैं, ये जीवाणु भोजी उन्हें खत्म कर देते हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ये जीवाणु भोजी इसलिए होते हैं क्योंकि उनका भोजन भी वहां उपलब्ध होता है।