नई दिल्ली। निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार जल्द ही मरीज का चार्टर बनाने जा रही है। इसमें मरीजों को 17 प्रकार के अधिकार प्राप्त होंगे। इस चार्टर के लागू होने पर निजी अस्पतालों में शुल्क जमा न करा पाने की स्थिति में शव को रख लेने, महंगी दवा व अन्य सुविधाओं को लेकर अब मरीजों व उनके तीमारदारों को किसी प्रकार की शिकायत नहीं रहेगी।

गौरतलब है कि निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक विस्तार के चलते ज्यादातर नागरिक अब सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की जगह निजी अस्पतालों में जाने लगे हैं। वहां रोगियों को कई बार शुल्क, प्रक्रियाओं में अपर्याप्तता की शिकायत होती है। इस कारण सरकार इस क्षेत्र को रेगुलेट करना चाहती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने अब राज्य सरकारों द्वारा लागू ‘रोगी अधिकारों का चार्टर’ प्रस्तावित किया है। यह मसौदा अब सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में उपलब्ध है। इसको लेकर 30 सितंबर 2018 तक टिप्पणियां मांगी गईं हैं। इसके बाद मरीज को इलाज संबंधी जानकारी लेने, दूसरे डॉक्टर से राय लेने, दूसरी फार्मेसी से दवा लेने, देख भाल करने वाले को शव को ले जाने जैसे कई और अधिकार होंगे। ड्रॉफ्ट चार्टर इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना चाहता है। ‘रोगी अधिकारों का चार्टर’ में जो 17 अधिकार प्रस्तावित हैं, उनमें सूचना की जानकारी, रिकॉर्ड और रिपोर्ट का अधिकार, सहमति का अधिकार, गोपनीयता, मानव गरिमा और गोपनीयता का अधिकार, दूसरी राय लेने का अधिकार, शुल्कों और देखभाल में पारदर्शिता का अधिकार, गैर-भेदभाव का अधिकार, मानकों के अनुसार सुरक्षा और गुणवत्ता देखभाल का अधिकार, वैकल्पिक उपचार का अधिकार, दवाएं या परीक्षण प्राप्त करने के लिए स्रोत चुनने का अधिकार, उचित रेफरल और स्थानांतरण का अधिकार, क्लीनिकल ट्रायल में शामिल रोगियों के लिए सुरक्षा का अधिकार, बायोमेडिकल और स्वास्थ्य अनुसंधान में शामिल प्रतिभागियों की सुरक्षा का अधिकार, रोगी के डिस्चार्ज होने का अधिकार या मृतक का शरीर प्राप्त करने का अधिकार, मरीज की शिक्षा का अधिकार, फीडबैक का अधिकार और निवारण का अधिकार शामिल हैं।