लखनऊ। सरकारी मेडिकल कॉलेज अब बाजार से दवा नहीं खरीद सकेंगे। सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने दवा खरीद और प्रबंधन के लिए गाइडलाइन्स जारी की है। इसके अनुसार सभी को एक साथ केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत दवा खरीदनी होगी। अभी तक मेडिकल कॉलेज सभी सीधे बाजार से ही अलग-अलग दवाएं खरीदते थे। अब यूपी के 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में 80 फीसदी दवाओं की खरीद सरकार की यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से करना अनिवार्य होगा। सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची को भी 364 से बढ़ाकर 839 कर दिया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर बाजार से दवा खरीद पर रोक लगेगी और इससे लागत में भी कमी आएगी। इससे एक बार दवा खरीद के बाद 24 घंटे दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। इन आवश्यक दवाओं में 99 औषधियों को स्वास्थ्य विभाग पहले से ही खरीदता आया है। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग भी यह दवाएं खरीदेगा।
जिन कंपनियों को दवा खरीद के लिए अधिकृत माना जाएगा, उनमें पहले से स्वास्थ्य विभाग में सूचीबद्ध फर्मों को छोडक़र 50 करोड़ तक के टर्नओवर वाली फर्में ही शामिल की जाएंगी। इनके अलावा फर्म को डब्ल्यूएचओ और जीएमपी से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। इन फर्मों को दवा का उत्पादन स्वयं करना चाहिए। जो दवाएं मेडिकल कॉलेज खरीदेगा, उन्हें पहले से ही मेडिकल ड्रग कॉरपोरेशन अपनी प्रयोगशाला में जांच कराएगा। मेडिकल कॉलेजों को अपनी जरूरत के अनुसार हर साल दवा की लिस्ट बनानी होगी। पहले चरण में सभी विभागाध्यक्ष अपने-अपने विभाग के चिकित्सकों, रेजिडेंट डॉक्टरों, सिस्टरों और फॉर्मासिस्टों की मदद से अनुमानित सूची तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में सभी चिकित्सीय विभागों से मिली सूची को प्रधानाचार्य एक्सेल फार्मेट में तैयार करेंगे। तीसरे चरण में सूची महानिदेशालय चिकित्सा शिक्षा द्वारा तैयार की जाएगी।