हैदराबाद। दवा क्षेत्र के अमेरिकी नियामक यूएसएफडीए के बार-बार भारतीय दवा कंपनियों के संयंत्रों का निरीक्षण करने से देश का दवा निर्यात कमजोर पडऩे लगा है। यह स्थिति तब है जब अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध की वजह से दवा उद्योग के सामने व्यापक अवसर मौजूद हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की दवा उद्योग की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन जी. वी. प्रसाद ने कहा कि बार-बार निरीक्षण का भारतीय दवा निर्यात पर प्रभाव पड़ा है और दवा निर्यात में नरमी की एक बड़ी वजह यही है। उन्होंने कहा कि कई कंपनियों को मिलने वाली अनुमति लटक गयी है और जबकि कई को चेतावनी पत्र मिले हैं। इसने नए उत्पादों की पेशकश और उनकी वृद्धि को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि हर किसी को गुणवत्ता, व्यवस्था, अनुशासन, आंकड़ों के एकीकरण को लेकर अपना स्तर ऊंचा करना होगा। यह सभी बातें उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रसाद के अनुसार वैश्विक दवा उद्योग के लिए दवा बनाने में लगने वाले विभिन्न अवयवों, सामग्री और रसायनों के लिए चीन एक बड़ा स्रोत बाजार है। लेकिन अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने पश्चिमी देशों को अपनी एशियाई देशों पर निर्भरता को लेकर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है। इसलिए दवा पर लगने वाले शुल्कों पर इसका असर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्राथमिक स्वास्थ्य पर और निवेश करने की जरूरत है। भारत में अन्य देशों के मुकाबले दवा सस्ती है। इसमें जनता की क्रयशक्ति एक अहम मुद्दा है क्योंकि देश में कोई राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम नहीं है।