in-vitro gametogenesis: हम सभी जानते हैं कि पुरुष के स्पर्म और महिला के एग के मेल से ही एक बच्चे का जन्म होता है। लेकिन अब लैब में बिना स्पर्म और एग के बच्चे को तैयार किया जायेगा। ट्रेडिशनल तरीके से बच्चे लैब में तैयार होंगे। इस तकनीक का नाम आईवीजी या इन-विट्रो गेमेटोजेनेसिस (in-vitro gametogenesis) है।

इनफर्टिलिटी से जूझ रहे कई कपल्‍स को मिलेगी मदद (in-vitro gametogenesis)

इस तकनीक की सहायता से इनफर्टिलिटी से जूझ रहे कई कपल्‍स को काफी मदद मिलेगी और यह तकनीक ट्रांसजेंडर कपल्‍स के भी काम आएगी। कैलिफेार्निया के स्‍टार्टअप, कंसेप्‍शन और कई अन्‍य लैबोरेट्री के इस प्रोजेक्‍ट में शामिल होने की खबर है। इस तकनीक में ह्यूमन एग और स्‍पर्म को लैब के अंदर ही बनाया जाएगा जिससे भ्रूण को बनाने के लिए मानव स्‍पर्म और ओवम की आवश्यकता ही नहीं होगी। वैज्ञानिकों ने यह तरीका चूहों पर इस्तेमाल किया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई।

ये भी पढ़ें- गोरखपुर में दवा दुकानों पर छापेमारी, 3 लाख की दवाएं जब्त

इस तकनीक में इंसान के ब्लड स्किन से कोशिका लेकर उसे रिप्रोग्राम कर के प्‍लूरिपोटेंट स्‍टेट की तरह एम्ब्रियो बनाया जाएगा। इसे इंड्यूस्‍ड प्‍लूरिपोटेंट स्‍टेम सेल्‍स या आईपीएस कहा जाता है और फिर आईपीए सेल्‍स को एग या स्‍पर्म में तब्‍दील किया।

इस तकनीक से क्या होगा फायदा 

जिन दंपत्ती को लाख कोशिश के बाद भी बच्चा नहीं हो पा रहा है । कई ऐसे भी दंपत्ति होते हैं जिनपर आईवीएफ या कोई और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट भी असर नहीं होता है। उनके लिए ये तकनीक किसी वरदान से कम नहीं होगी। अभी तक तो इस तकनीक का इस्‍तेमाल शुरू नहीं हुआ है क्‍योंकि इससे जुड़े कई सवालों के जवाब अभी भी वैज्ञानिक तलाश रहे हैं। इसके साथ ही आईवीजी से ट्रांसजेंडर कपल भी पैरेंट बन पायेंगे।