भोपाल
हर बीमारी में मूल दवा के साथ दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा का असर लगातार कम हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई अध्ययनों में इसका खुलासा हुआ है। एंटीबायोटिक के बेअसर होने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की है। संगठन इसकी बड़ी वजह इन दवाओं को संरक्षित रखने के गलत तरीके को बता रहा है। चिंता की बात यह है कि अगर ऐसा हुआ तो टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज असंभव हो जाएगा। कई तरह की सर्जरी और कैंसर का इलाज भी एंटीबायोटिक पर निर्भर है। इसके अलावा एचआईवी की एंटीवायरल दवाओं और मलेरिया की दवाओं के कमज़ोर होने की चिंता जताई जा रही है।
हर बात में एंटीबायोटिक से बनी यह स्थिति – पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स ने शोध में पाया कि 40 फीसदी लोग सर्दी जुकाम में एंटीबायोटिक लेते हैं, जिससे शरीर में इसका असर कम होने लगता है। अध्ययन में सामने आया कि एंटीबायोटिक के प्रति जीवाणुओं के प्रतिरोध की समस्या बढ़ रही है। सामान्य संक्रमण में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ये दवाएं शरीर में मौजूद ‘ जीवाणुओं को प्रभावित करती हैं और इनसे जीवाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।