नई दिल्ली: 7वें वेतन आयोग में विसंगतियां दूर कर उचित मानदेय की मांग लेकर महीनों से प्रदर्शन और चेतावनियों के बीच नर्सों की 2 अगस्त से शुरू अनिश्चितकालीन हड़ताल रोकने की स्वास्थ्य मंत्रालय की आखिरी कोशिश बेदम साबित हो गई। जब अधिकारियों से सुलह का रास्ता नहीं निकला तो स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने खुद आगे आकर ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल को आज (1 अगस्त,2016) वार्ता के लिए आमंत्रित किया।
एआईजीएनएफ की महासचिव जी.के. खुराना के मुताबिक, बैठक सुबह 11 बजे निर्माण भवन में शुरू हुई, जिसमें विभिन्न प्रदेशों से आए नर्स संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के अलावा स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। करीब सवा घंटे तक वार्ता चली लेकिन शांत माहौल में शुरू हुई बातचीत तल्ख तेवरों के बीच बेनतीजा समाप्त हो गई।

एआईजीएनएफ, दिल्ली की अध्यक्ष प्रेमरोज ने बताया कि बीती 14 मार्च को भी स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने हड़ताल रोकने के लिए उन्हें लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन 7वां वेतन आयोग जब सामने आया तो आश्वासन हवाई साबित हुए। हक की खातिर जब देशभर की नर्सों ने एकजुट होकर आंदोलन का ऐलान किया तो स्वास्थ्य मंत्री फिर उसी मान-मनौव्वल की कोशिश में दिखे। अपने ही वायदे का बैठक में नड्डा के पास तर्कसंगत जवाब नजर नहीं आया।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल फेडरेशन की वरिष्ठ सदस्य अनीता पंवार ने दो टूक कहा कि अब सरकार के किसी झांसे में नहीं आएंगे। मांगों पर जब तक स्पष्ट और सार्थक बात नहीं होगी, हड़ताल जारी रहेगी। देश-विदेश में बेटियों को बचाने-पढ़ाने-बढ़ाने की पुरजोर वकालत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों खामोश होकर उनके साथ हो रहा अन्याय देख रहे हैं, समझ से परे है।