फर्रुखाबाद। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की बिक्री पर बैन लगा दिए जाने के बावजूद यह धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब यह बदले हुए रंग-रूप में मिलने लगा है। गौरतलब है कि सरकार ने ऑक्सीटोसिन के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए देशभर की फार्मा कंपनियों पर संबंधित इंजेक्शन के निर्माण पर रोक लगाई है। इसके अलावा निजी कंपनियों को ऑक्सीटोसिन के निर्माण का कच्चा माल पहुंचाने पर भी रोक लगा दी है। ऑक्सीटोसिन के निर्माण की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी को दी गई है। सरकार ने एक जुलाई से मेडिकल स्टोर पर इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और शासनादेश में साफ बताया गया था कि मेडिकल स्टोर पर ऑक्सीटोसिन मिला तो लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाएगा। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन अब एंपुल के रूप में मिल रहा है। इसकी कीमत भी बेहद कम होती है। यह महज दो से पांच रुपये में मिल जाता है।
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी राजकिशोर सिंह ने बताया कि सरकार ऑक्सीटोसिन पर रोक लगाने का भरसक प्रयास कर रही है। लोकल कंपनियां चोरी छुपे इसका निर्माण कर रही हैं। इसी कारण यह अब भी आसानी से एंपुल के रूप में बाजार में मिल रहा है। यह इतना सस्ता होता है कि हर आदमी इसे खरीद लेता है।