गोरखपुर। ब्लड प्रेशर (बीपी) के इलाज के लिए जिला अस्पताल आने वाले सैकड़ों मरीजों को राहत मिली है। ब्लड प्रेशर कम करने की जो दवा जिला अस्पताल में दी जा रही थी वह मुंह में पड़ते ही घुल जाती थी। इस कारण मरीजों को फायदा नहीं मिल रहा था। मामला संज्ञान में आने पर ड्रग इंस्पेक्टर ने इसकी जांच की और अस्पताल में बीपी की दवा लोसार्टन पोटैशियम 50 मिलीग्राम मरीजों को देने पर रोक लगा दी। अस्पताल के स्टॉक में इस दवा की 26 सौ गोलियां मौजूद हंै।
जानकारी अनुसार ड्रग इंस्पेक्टर संदीप कुमार से एक नागरिक ने शिकायत की थी कि जिला अस्पताल में मिलने वाली बीपी की दवा की क्वालिटी बहुत खराब है। पत्ते से निकालने के दौरान ही दवा टूटने लगती है और मुंह में डालते ही घुल जाती है। दवा के सेवन के बाद भी बीपी नियंत्रित नहीं रहता। नागरिक ने ड्रग इंस्पेक्टर को गोली भी सौंपी। उन्होंने गोली हाथ में लेकर थोड़ा सा मसला तो यह पाउडर की शक्ल में आ गई। इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर जिला अस्पताल के सेंट्रल स्टोर पहुंचे और दवा का पूरा स्टाक निकलवाकर जांच की। उन्होंने काउंटर पर उपलब्ध दवा को स्टोर में मंगवा लिया और इसे बांटने पर रोक लगा दी। जांच में पता चला कि बायोकेम कंपनी की इस दवा को जिला अस्पताल प्रशासन ने लोकल पर्चेज के माध्यम से भालोटिया मार्केट स्थित मानस मेडिकल से खरीदा है। इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने मानस मेडिकल स्टोर पर जांच की लेकिन वहां दवा नहीं मिली। दुकानदार ने बताया कि अस्पताल प्रशासन के ऑर्डर पर उसने वर्ष 2017 में यह दवा मंगाई थी। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि मानस मेडिकल के प्रोपराइटर से दवा का बिल मांगा गया है। जहां से दवा खरीदी गई होगी, वहां जांच की जाएगी। दवा का सैंपल जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेज दिया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने बताया कि यदि किसी दवा पर संदेह है तो डीएम कार्यालय के सामने स्थित औषधि प्रशासन के कार्यालय में इसकी सूचना दी जा सकती है।