भिलाई (छ.ग.)। केन्द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन की अनुशंसा के बाद राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन के लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने भिलाई स्थित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा संस्थान के ब्लड बैंक का लाइसेंस 120 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई जेएनएच में संचालित ब्लड बैंक में एचआईवी प्रभावित खून चढ़ाए जाने की दो शिकायतों पर जांच के बाद की गई। इसके अलावा केन्द्र के नाको दल ने भी जांच के बाद अपनी रपट में इस बात की पुष्टि की है कि बच्चों को संक्रमित खून जेएनएच के ब्लड बैंक से ही चढ़ाया गया था। नाको दल ने इस कृत्य को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल प्रबंधन से मेडिकल व टेक्नीशियन स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है।
लेकिन नाको व खाद्य एवं औषधि प्रशासन की इस कार्रवाई का अस्पताल प्रबंधन, अस्पताल के चिकित्सक, अन्य कर्मचारियों व बीएसपी के तमाम यूनियनों ने विरोध किया है। अस्पताल प्रबंधन ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के लाइसेंसिंग अथॉरिटी से ब्लड बैंक की सुविधा फिर से बहाल करने की अपील की। अस्पताल के ब्लड बैंक को सील किए जाने से अस्पताल की अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में भी बाधा उत्पन्न होने लगी। इसका खामियाजा अस्पताल में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आ रहे लोगों के साथ अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ रहा था। क्योंकि उन्हें अस्पताल से बगैर इलाज किए ही वापस भेज दिया जा रहा था।
गंभीर मरीजों के साथ उनके परिजनों व लोगों को हो रही इस असुविधा से अखिल भारतीय कांंग्रेस कमेटी के सदस्य दीपक दुबे ने उच्च न्याायालय में अधिवक्ता जीतेन्द्र पाली के माध्यम से जनहित याचिका दाखिल कर अनुरोध किया कि जेएनएच के ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित होने से लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो, इसलिए राज्य सरकार, संबंधित विभाग, प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन को उचित निर्देश दें। साथ ही पीडि़त परिवारों के प्रति भी अपनी संवेदना प्रकट करते हुए इस तरह की घटना दुबारा अन्य किसी के साथ ना हो, इसके लिए उचित कदम जल्द उठाने की आवश्यकता बताई। उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व खाद्य एवं औषधि प्रशासन को 15 दिनों में उचित कार्रवाई कर जवाब देने कहा हैं।