भोपाल। एम्स कॉलेज में दवाइयों के उपयोग से होने वाले दुष्पपरिणामों पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और प्रोफेसरों ने शिकरत की। इस कार्यशाला में बताया गया कि दर्द से तुरंत निजात पाने के लिए जो दवाइयां हमारे यहां उपयोग की जा रही हैं, उनमें से कई विदेशों में प्रतिबंधित हैं। विदेश में ये दवाई बैन होने के बावजूद भी हमारे यहां उपयोग की जा रही है। जो कि गलत है।
इस कार्यशाला में आगे कहा कि इन दवाइयों के उपयोग से पेट की बीमारियां और त्वचा के रोग का खतरा बढ़ रहा है। सौंदर्य प्रसाधन के लिए उपयोग की जाने वाली 90 फीसदी क्रीमें त्वचा पर विपरीत असर डाल रहीं हैं। इनके उपयोग से त्वचा पर लाल-पीले दाग बन रहे हैं, त्वचा की मोटाई कम हो रही है।
बैठक के दौरान फार्माकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बालाकृष्णन एस ने कहा कि भोपाल एम्स भारतीय फार्माकोपिया आयोग गाजियाबाद का रीजनल सेंटर है, जो मप्र और छत्तीसगढ़ में उपयोग की जाने वाली दवाओं के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों की समीक्षा करता है। समीक्षा में दर्द और मिर्गी की बीमारियों की रोकथाम के लिए उपयोग की जाने वाली 70 फीसदी दवाइयों के दुष्परिणामों पर चर्चा हुई है।
इस बैठक में ये भी साफ किया गया कि कार्यशाला में जिन हानिकारक दवाओं के दुष्परिणामों पर चर्चा हुई है। उनकी सूची भारतीय फार्माकोलॉजी आयोग को भेजी जाएगी। उसके बाद संबंधित दवाओं को प्रतिबंधित किया जाएगा।