नई दिल्ली। नया साल भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए कोई खास अच्छी खबर लाता दिख नहीं रहा है, बल्कि 2018 के लिए फार्मा कंपनियों को नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। यूएसएफडीए ने 2017 में सबसे ज्यादा जेनरिक दवाओं को मंजूरी दी, जिसके बाद भारतीय दवा कंपनियों के लिए मुश्किले बढ़ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, यूएसएफडीए की तरफ से नवंबर 2017 में सबसे ज्यादा जेनरिक दवाओं को मंजूरी दी गई। यूएस में जेनरिक फार्मा पर जोर दिया जा रहा है, जिससे कंपिटीशन बढ़ना लाजमी है और इसके साथ ही यूएस में दवाओं के दाम घटाने पर फोकस बढ़ा है। इसका असर सीधा भारतीय दवा कंपनियों पर पढ़ने जा रहा है।
जेनरिक दवाओं पर जोर से भारतीय दवा कंपनियों के लिए कंपिटीशन बढ़ेगा। वहीं जिस प्रकार से यूएसएफडीए जेनरिक फार्मा की मंजूरी के लिए साइंटिफिक और रेगुलेटरी दिक्कतें दूर करने के लिए कदम उठा रही है, उसने फार्मा कंपनियों को बेचैन कर दिया है। इसके अलावा एफडीए के जेनरिक दवा जांच प्रक्रिया को भी सुधारने पर काम हुआ है और नई दवा की मंजूरी प्रक्रिया के लिए नियम तैयार किए गए हैं। इन सब से यूएस में फार्मा में कंपिटीशन बढ़ाने और उसी के चलते दाम घटाने में मदद मिलेगी। अब देखने वाली बात होगी कि जेनरिक दवाओं के जोर से भारतीय फार्मा कंपनियों खुद को कैसे बचा पाती है।