भारत में निर्मित और अन्य देशों में रिपोर्ट की गई दवाओं से जुड़ी बढ़ती मौत के मामलों के साथ, भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) – गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (जीएमपी) दिशानिर्देशों के अनिवार्य कार्यान्वयन के लिए एक समय सीमा निर्धारित की है। भारत सरकार ने भारत में निर्मित और विभिन्न देशों में रिपोर्ट की गई दवाओं के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन- गुड मैन्युफैक्चरिंग WHO-GMP प्रैक्टिस मानदंड को अनिवार्य रूप से अपनाने के लिए एक तारीख निर्धारित की है।

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2,000 दवा उत्पादन को ही दुनिया भर में WHO-GMP मानकों के अनुरूप माना गया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में कहा था कि देश की कुल 10,500 दवा उत्पादन सुविधाओं में से केवल 2,000 को ही दुनिया भर में WHO-GMP मानकों के अनुरूप माना गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि इनमें से केवल तीन अनुरूप इकाइयों का मुख्यालय नागपुर में है। नई जीएमपी को अब घरेलू और विदेशी बाजारों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली फार्मास्यूटिकल्स के निर्माण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

नागपुर में तीन कंपनियों ने ही WHO अनुपालन हासिल किया

नागपुर में लगभग 40 से 45 कंपनियां और 18 ऑक्सीजन फैक्ट्रियां हैं, लेकिन केवल तीन कंपनियों, अर्थात् ZIM, LUPIN और स्नेहा ने नागपुर डिवीजन में WHO अनुपालन हासिल किया है। भारतीय फार्मास्युटिकल प्रथाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित करने के सरकार के प्रयासों से, यह आशा की जाती है कि नागपुर सहित अतिरिक्त विनिर्माण इकाइयाँ, फार्मास्युटिकल उत्पाद सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए WHO-GMP सिद्धांतों के अनुप्रयोग को प्राथमिकता देंगी।