दवाइयों के प्रति बीमारी की प्रतिरोध क्षमता में बढ़ोतरी और रोगी में एड्स जैसी दूसरी अन्य बीमारियां मिलने से प्रगति धीमी 
 
नई दिल्ली: दुनिया भर में तपेदिक (टीबी) को खत्म करने की जंग चल रही है लेकिन इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित भारत में टीबी मरीजों की संख्या अनुमान से तीन गुणा ज्यादा हो सकती है। चिकित्सा क्षेत्र की पत्रिका, लॉसेंट में ताजा प्रकाशित शोधपत्र में बताया गया कि 2014 के अध्ययन में पाया गया है कि निजी क्षेत्र में करीब 19 लाख से लेकर 53.4 लाख तक मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जोकि सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे मरीजों की संख्या से दोगुनी है।

इस अध्ययन से पहले अनुमान था कि भारत में करीब 22 लाख तपेदिक के मामले हो सकते हैं, जो दुनिया भर के तपेदिक मामलों का एक-तिहाई है। दुनिया भर में करीब 63 लाख तपेदिक के मरीज होने का अनुमान है। अध्ययन में पता चला कि निजी क्षेत्र जहां टीबी इलाज में मदद करता है। वहीं, अवरोध भी उत्पन्न करता है। हालांकि भारत में टीबी का मानकीकृत इलाज केवल सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है। लेकिन इसका समय पर पता लगाना और निदान करना अनियमित निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की बड़े पैमाने पर उपस्थिति के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। अध्ययन में कहा गया है, टीबी की जांच का मुकम्मल ढांचा नहीं होने और इलाज में देरी के कारण भारत में टीबी खत्म होने का नाम नहीं ले रही।