नगरोटा बगवां (कांगड़ा): भारतीय दवा कंपनियों के खिलाफ क्लास एक्शन (सामूहिक प्रभाव वाले) केसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी विधि कंपनियां भारतीय दवा कंपनियों पर निवेशकों की संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने और अन्य तरह के उल्लंघन का आरोप लगा चुकी हैं। भारत से छह दवा कंपनियों या मूल जेनेरिक दवा कंपनियों की सहायक इकाइयों के नाम अमेरिकी संघीय प्रतिभूति कानूनों और एंटी-ट्रस्ट कानूनों के कथित उल्लंघन से जुड़े एक दर्जन से अधिक क्लास-एक्शन मामलों में शामिल हैं।

कुछ मामलों में कंपनियों ने कानूनी कंपनियों के साथ मध्यस्थता समझौते के जरिये मामले को निपटाया है जबकि अन्य क्लास एक्शन मुकदमें चल रहे हैं। इनमें से कई का परिणाम सामने नहीं आया है। भारतीय दवा कंपनियों के खिलाफ क्लास एक्शन मामलों की संख्या वर्ष 2014 के बाद से बढ़ी है। ये मुकदमें दवाओं के खरीदारों का प्रतिनिधित्व करने वाली विधि कंपनियों द्वारा दायर कराए गए थे। इनमें व्यक्तिगत खरीदार और रिटेल स्टोर या ऐसे अमेरिकी निवेशक शामिल थे जो संबंधित कंपनियों के शेयरों के मालिक हैं।

सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और डॉ. रेड्डीज उन कंपनियों की सूची में शीर्ष पर हैं जिन्हें भारतीय क्लास एक्शन मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ रहा है। अरविंदो फार्मा, ल्यूपिन और पूर्व में रैनबैक्सी (जिसका बाद में सन फार्मा के साथ विलय हो गया) और वॉकहार्ट ऐसी अन्य कंपनियां हैं जो अमेरिका में क्लास एक्शन मामलों से जुड़ी रही हैं। तेवा और मर्क एंड कंपनी जैसी कुछ यूरोपीय और अमेरिकी दवा कंपनियों ने क्लास एक्शन मुकदमेबाजी में सैकड़ों डॉलर की क्षतिपूर्ति का भुगतान करना पड़ा था। हालांकि भारतीय कंपनियों को अब तक अपने मामलों में इस तरह के गंभीर प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ा है। फिर भी ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जिनमें कुछ भारतीय कंपनियों ने विधि कंपनियों के साथ आपसी सहमति के जरिये इस तरह के मामलों को निपटाया था।

आपसी बातचीत के जरिये निपटान के शुरुआती उदाहरणों में से एक में सन फार्मा की अमेरिकी सहायक कंपनी कराको लैब ने 2012 में पूर्व कर्मचारियों के साथ मिलकर लगभग 30 लाख डॉलर में क्लास एक्शन मुकदमेबाजी का समाधान निकाला था। एक ताजा उदाहरण में, भारत की दूसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी ल्यूपिन ने सैंडोज (जो स्विस बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी नोवार्तिस की सहायक कंपनी है) के साथ आपसी सहमति के साथ इस साल अप्रैल में 67 लाख डॉलर का भुगतान कर क्लास एक्शन मुकदमेबाजी से बाहर निकलने में सफलता हासिल की। वर्ष 2014 में डॉ. रेड्डीज ने एक साल पहले दायर किए गए एक क्लास एक्शन मामले का मध्यस्थता के जरिये समाधान निकाला था। यह मुकदमा डॉ. रेड्डीज, रैनबैक्सी और इजराइली बहुराष्ट्रीय कंपनी तेवा फार्मास्युटिकल्स के खिलाफ कथित तौर पर एस्ट्राजेनेका के साथ उसकी निक्सियम दवा के जेनेरिक वर्सन के लॉन्च में विलंब के लिए पे-फॉर-डिले की साजिश में शामिल होने के खिलाफ दायर किया गया था।