नई दिल्ली : भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के उस दावे का खंडन किया है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा है कि भारत में कोविड-19 की वजह से 47 लाख लोगों ने जान गंवाई है। ये संख्या भारत की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज्यादा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत लगातार डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी किए जाने वाले गणितीय मॉडल के आधार पर अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताता रहा है।
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि कई देशों ने कोविड से मरने वालों की संख्या को कम बताया है। भारत ने कहा है कि अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, इस मॉडलिंग अभ्यास की प्रक्रिया, कार्यप्रणाली और परिणाम पर भारत की आपत्ति के बावजूद, डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।
भारत ने डब्ल्यूएचओ को यह भी सूचित किया था कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के माध्यम से प्रकाशित प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए, गणितीय मॉडल का उपयोग भारत के लिए अतिरिक्त मृत्यु संख्या को पेश करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
यह रेखांकित करते हुए कि डब्ल्यूएचओ ने आज तक भारत द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दिया है, मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि भारत ने मानदंड और धारणा में विसंगतियों की ओर इशारा किया था कि डब्ल्यूएचओ देशों को टियर-1 और 2 में वर्गीकृत करता है और साथ ही भारत को बाद में रखने के आधार पर सवाल उठाता है, जिसके लिए भारत ‘योग्य नहीं है’ यानी वह इस खंड में फिट नहीं बैठता है।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ लंबे समय से कहता आ रहा है कि मौत की असल संख्या उस संख्या से बहुत अधिक होगी जो कोविड के संक्रमण के आधार पर विभिन्न देशों द्वारा बताई जा रही है।