मुरैना-बानमोर। कोरोना संक्रमण के इलाज में उपयोग होने वाली फेवीमैक्स नाम की नकली दवा मामले की जांच करने के लिए मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम बानमौर में उस डॉक्टर तक पहुंच गई, जिसके यहां ग्वालियर से इस नकली दवा के आने की शिकायत थी। छानबीन में स्वास्थ्य विभाग की टीम को यह नकली दवा तो डॉक्टर के क्लीनिक पर नहीं मिली, लेकिन वहां भारी मात्रा में दवाएं व नकली बिल मिले हैं। दो दवाओं के सैंपल लेने के बाद अन्य दवाओं को जब्त कर लिया गया है। चौकाने वाली बात यह सामने आई कि उक्त डॉक्टर के पास आयुर्वेद की व उसके बेटे के पास दांतों के इलाज की डिग्री थी, लेकिन वह एलोपैथी में इलाज कर रहे थे।
गौरतलब है कि ग्वालियर के महादेवा मेडिकल से फेवीमैक्स नाम की नकली दवाएं सप्लाई की गई थी। इनमें से इस नकली दवा के 12 पत्ते बानमोर के डॉक्टर कुंजबिहारी अग्रवाल के यहां आने की सूचना थी। इस पर ड्रग इंस्पेक्टर देशराज सिंह राजपूत ने मंगलवार को उक्त डॉक्टर के निजी अस्पताल पर छापा मारा। यहां फेवीमैक्स नाम की कोई दवा नहीं मिली, लेकिन जांच में पता चला कि डॉ. कुंजबिहारी अग्रवाल के पास आयुर्वेद और उनके बेटे डॉ. करन अग्रवाल के पास बीडीएस की डिग्री है, लेकिन यह इलाज एलोपैथी में कर रहे थे। इनके अस्पताल में भारी मात्रा में दवा व जीवनरक्षक इंजेक्शन तक मिले हैं। इन इंजेक्शन व दवाओं को जप्त किया गया है। इसके अलावा एक एंटीबॉयोटिक व लेमीडोजिल नाम की दवा के सैंपल लिए गए हैं। देशराज सिंह ने बताया कि यहां बहुत गड़बड़ मिली है, इसकी पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। उक्त डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।