ग्वालियर (मप्र)। टीकाकरण में लगने वाली पीसीवी वैक्सीन के एक डोज की कीमत 1600 रुपए है। सबसे सस्ती पोलियो वैक्सीन के प्रति डोज की कीमत चार रुपए है। ईंट भट्टे या खानाबदोश या फिर होम डिलिवरी के कारण नियमित टीकाकरण से हम माह हजारों बच्चे वंचित हो जाते हैं। इनके टीकाकरण के लिए मिशन इन्द्रधनुष शुरू किया गया है। मिशन में एक लाख बच्चों के टीकाकरण के लिए अफसर 10 लाख बच्चों के काम आने लायक वैक्सीन फेंक देते हैं या स्टोर में वापस कर देते हैं। यही वाइल अगर रूटीन में लगती तो वैक्सीन की बचत होती। हाल यह है कि मप्र में चलाए जा रहे ऑपरेशन इंद्रधनुष में 140 से 150 प्रतिशत वैक्सीनेशन कवर किया जा रहा है जबकि नियमित टीकाकरण के बाद किए गए हेडकाउंट की संख्या 100 से 110 ही थी।
स्वास्थ्य विभाग के अफसर व संविदा स्टाफ ने नौ माह में पोलियो, टिटनेस, मीजल्स, निमोनिया डायरिया के 1.60 लाख वैक्सीन डोज खराब कर फेंक दिए। नेशनल हेल्थ मिशन प्रोग्राम के अंतर्गत नियमित टीकाकरण व मिशन इन्द्रधनुष में मिली चार से 10 डोज की वाइलों का 10 से 25 फीसदी उपयोग कर शेष वैक्सीन को नष्ट होने के लिए स्टोर में रख दिया गया। इस वर्ष एक अप्रैल से 30 नवंबर मतलब आठ माह में प्रदेश में दो करोड़ रुपए से अिधक की वैक्सीन बर्बाद हो गई। बच्चों को लगने वाले वैक्सीन के वेस्टेज का परसेंट तय है। 20 और 10 डोज की वाइल में 10 प्रतिशत वेस्टेज मान्य किया जाता है। मीजल्स में 25 और रोटा में 10 प्रतशित वेस्टेज मान्य है। रोटा व एमआर वैक्सिन चार घंटे में यूज करना होते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल का कहना है कि नियमित टीकाकरण में टीकाकरण से छूटे बच्चों के लिए मिशन इंद्रधनुष चलाया जा रहा है। हेडकाउंट में चिन्हित किए गए बच्चों से ज्यादा बच्चों को टीकाकरण कैसे हो रहा है इसकी समीक्षा रिपोर्ट ग्वालियर सहित सभी जिलों से तलब करेंगे। प्रयास किए जाएंगे कि नियमित टीकाकरण में भी कम बच्चे ही टीकाकरण से छूटें।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि ग्वालियर सहित हर जिले की टीकाकरण रिपोर्ट मंगाकर समीक्षा की जाएगी। किसी भी हाल में वैक्सीन के डोज बर्बाद नहीं होने चाहिए। नियमित टीकाकरण में अफसर व फील्ड स्टाफ की लापरवाही चिन्हित की जाएगी। अफसरों को प्रयास करने चाहिए कि सत्र छूटे ही नहीं। हम जल्द एक्शन लेंगे।