नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी गिलियड साइंसेज मंजूरी दे तो भारत आसानी से एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर को तैयार कर सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. निर्मल के. गांगुली ने यह बात कही है। गिलियड साइंसेज ने ही इस दवा को विकसित किया है और इस समय कई भारतीय कंपनियों से ओपन लाइसेंसिंग की संभावनाओं पर बात कर रही है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों की सेहत में जल्द सुधार के प्रमाण मिले हैं। डॉ. गांगुली ने कहा, ‘सरकार की जरा सी सहायता से यह दवा आसानी से उपलब्ध हो सकती है। इस दवा को तैयार करना बहुत मुश्किल नहीं है। अगर गिलियड मंजूरी दे तो भारत इस दवा को तैयार कर सकता है और अपने स्तर पर ट्रायल भी कर सकता है।’ उन्होंने बताया कि रेमडेसिविर आरएनए वायरल रेप्लीकेशन को रोकती है। बहुत कम साइड इफेक्ट होना इस दवा की बड़ी खूबी है।इस दवा की खामियों पर डॉ. गांगुली ने कहा, ‘अब तक इसकी एक ही अहम खामी सामने आई है कि इसे इन्फ्यूजन के जरिये दिया जाता है। इसे न तो टेबलेट के तौर पर दिया जा सकता है और न ही अस्पताल के बाहर दिया जा सकता है। इसे देने के लिए चिकित्सकीय देखरेख जरूरी है।’