नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने अपने घर में इस्तेमाल होने वाली एक मल्टी विटामिन की दवा पर नजर डाली तो उन्हें मामला कुछ गड़बड़ लगा। उन्होंने उस कैप्सूल की पट्टी उठा कर देखा तो उस पर एक्सपायरी की तारीख़ नहीं लिखी थी। दवाई पर जो जानकारी दी गई थी, वो छोटे-छोटे अक्षरों में होने से पढऩा बहुत मुश्किल था। इसके अलावा दवाई की पट्टी पर कन्जयूमर हेल्पलाइन नम्बर भी नहीं लिखा हुआ था। ऐसे में रामविलास पासवान ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों को इसकी जांच करने को कहा। दरअसल, देशभर में सभी डिब्बाबन्द और पैक्ड सामानों के नापतौल और उसकी पैकेजिंग का मामला पासवान के मंत्रालय के तहत काम करने वाले नापतौल विभाग के अंदर आता है जिसे लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट कहा जाता है। फिर क्या था , मंत्री जी की शिकायत पर विभाग ने काम करना शुरू किया दवा कम्पनी का पता आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर में निकला. फटाफट आंध्र प्रदेश के नापतौल विभाग से सम्पर्क साधा गया और उसके बाद उस दवाई के वितरक और विक्रेता के यहां छापा मारकर उस दवाई को ज़ब्त किया गया। उसके बाद उस वितरक और विक्रेता के खि़लाफ़ विभिन्न धाराओं में केस दजऱ् करवा दिया गया है। अभी तक दवा बनाने वाली कम्पनी के खि़लाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि नक़ली दवा होने का शक़ जताया जा रहा है। दवा का नाम स्द्गस्रद्गह्म् ह्ररू है और ये विटामिन सी का टैबलेट है।