महम (हरियाणा)। मलेरिया जैसी घातक बीमारी से बचाव के लिए मरीजों को दी जाने वाली क्लोरोक्वीन दवा को महम सामान्य अस्पताल के कर्मचारियों ने रैपर में से निकालकर गंदे नाले में बहा दिया। गोली निकालने के बाद जो रैपर बचे उन्हें अस्पताल के पीछे फैंक दिया। समय रहते गरीब बस्तियों में मलेरिया से पीडि़त मरीजों को जांच करने के बाद यह दवाई क्यों नहीं वितरित की गई।
अस्पताल में पूछताछ करने पर सभी चुप्पी साध गए। कर्मचारियों ने इतना ही कहा कि जो दवा फेंकी गई हैं वे जनवरी माह में एक्सपायर हो चुकी हैं। उनका अस्पताल में कोई काम नहीं है। मलेरिया बुखार से पीडि़त आने वाले रोगियों को देने के लिए गत दिनों सरकार की तरफ से महम के अस्पताल में दवा भेजी गई थी। जिम्मेदार कर्मचारियों ने इन्हें गांवों, ईंट भ_ों, गरीब बस्तियों में वितरण करने की बजाए अपने यहां स्टोर में ही जमा किए रखा। ऐसे में आई हुई दवा कुछ समय बाद एक्सपायर हो गई। मलेरिया विभाग के स्टाफ ने दवा को वापस विभाग में जमा कराने की बजाए इनके रैपर से गोलियां निकालकर उन्हें गटर के पानी में बहा दिया। जो रैपर बचे उनको अस्पताल में पीछे कूड़ेदान के अंदर फैंक दिया।
इस बारे हेल्थ इंस्पेक्टर साधूराम का कहना है कि विभाग उन्हें तब दवा की सप्लाई करता है जब उनकी एक्सपायरी नजदीक होती है। एक्सपायरी दवा वापस करते हैं तो उनसे सवाल जवाब होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में इन्हें फैंकना ही उचित समझा। महम के एसडीएम निर्मल नागर के अनुसार नियम अनुसार एक्सपायरी दवा को जमीन में गढ्डा खोदकर दबाने या वेस्ट डिस्पोजल के माध्यम से इन्हें नष्ट करने का प्रावधान है। इस तरह खुले में फैंकना गंभीर विषय है। इस बारे जानकारी लेकर जांच कराएंगे। जांच में जो भी दोषी पाए जाएगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।