देहरादून। एडीजे पंचम की अदालत ने मिर्गी का शर्तिया इलाज करने के नाम पर मरीजों को नशीली दवाएं देने के आरोपी ऋषिकेश के डॉ. आरके गुप्ता समेत 15 लोगों को बरी कर दिया है।

गौरतलब है कि ऋषिकेश में नीरज क्लीनिक प्राइवेट लिमिटेड में मिर्गी के रोगियों का शर्तिया इलाज का दावा किया जाता था। एक एनआरआई ने डॉ. गुप्ता पर वर्ष 2004 में आरोप लगाया गया था कि उनके क्लीनिक में मरीजों को नशा दिया जाता है। इससे मरीज बेसुध हो जाते हैं। इसके बाद राज्य औषधि नियंत्रक की टीम ने छामेपारी की तो अस्पताल से कई तरह की प्रतिबंधित दवाएं मिली। इसके बाद डॉ. गुप्ता सहित 15 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा ऋषिकेश थाने में दर्ज हुआ था। सीजेएम कोर्ट ने इस मामले में बीते 20 दिसंबर को आरके गुप्ता को पांच वर्ष सश्रम कैद और 21 हजार रुपए की सजा सुनाई।

अगले दिन आरके गुप्ता ने जमानत लेते हुए सजा के खिलाफ जिला जज कोर्ट में अपील दाखिल की। मामले में बहस पूरी होने के कोर्ट ने डॉ. गुप्ता  सहित सभी को बरी कर दिया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता रूपिंदर सिंह ने बताया कि कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया है। लोअर कोर्ट में सजा के लिए जो  सबूत पेश किए गए थे, उन्हें  जिला कोर्ट में प्राप्त नहीं माना गया और इस आधार पर राहत दी गई।

वर्ष 2004 में मुकदमा दर्ज होने के बाद डॉ. गुप्ता को हिरासत में ले लिया गया था। जिस पर ऋषिकेश थाने में भीड़ जमा हो गई। भीड़ में शामिल कृष्ण कुमार, जय दत्त शर्मा, प्यारेलाल जुगरान, अरविंद शाह, डीएस रावत, राजकुमार अग्रवाल, स्नेह लता, अनीता वशिष्ठ, कविता शाह, निवर्तमान ऋषिकेश पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा, अशोक अश्क, यशपाल सिंह पंवार, रवि कुमार जैन और राहुल शर्मा पर आरोप था कि उन्होंने पुलिस को फर्द काटने से रोका और डॉ. गुप्ता को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर ले गए। इस दौरान काफी बवाल हुआ। सीजेएम कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को भी दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी। एडीजे पंचम की अदालत ने इन सभी को बरी कर दिया है।