बरेली। बीमारी के इस मौसम में कोई बुखार से पीडि़त है तो किसी को खांसी की समस्या है।। दवाओं के बावजूद बीमारी ठीक नहीं होने के पीछे जो वजह सामने आई है, वह काफी चौकाने वाली है। आशंका जताई जा रही कि बाजार में बड़े पैमाने पर नकली दवाएं बिक रही हैं। हाल ही में एक करोड़ की दवाएं बरामद होने के बाद ड्रग विभाग के अफसर भी मान रहे हैं कि बाजार में नकली दवाएं भी बिक रही हैं। बरामद दवाओं में कई कंपनियों की स्टीकर लगी 285 तरह की दवाएं थीं। इनमें एंटीबॉयोटिक, कफ, बुखार, एलर्जी सहित तमाम जरूरी दवाओं के फिजिशियन सैंपल शामिल थे। विभाग ने जांच के लिए सैंपल लखनऊ भेज दिए। आरोपित इशांक मिश्र को भी पुलिस ने जेल भेज दिया।
टीम को दवाओं की खरीद-बिक्री, कंपनियों के ऑर्डर आदि कुछ भी रिकार्ड वहां नहीं था। आरोपी इशांक से पूछताछ में सिर्फ इतना पता चला कि वह दिल्ली व उत्तराखंड से दवाएं लाता था। तीन साल से दवा का काम कर रहा है।
नियमानुसार कोई भी थोक कारोबारी फुटकर रजिस्टर्ड फर्म को ही दवाओं की बिक्री कर सकता है। यह खरीद-फरोख्त पक्के बिलों पर होनी चाहिए, जिस पर टैक्स भी बनता है। इसके बाद दवाएं मेडिकल स्टोर से फुटकर बिक्री होनी चाहिए। मगर, पिछले करीब एक साल से ऐसा नहीं हो रहा है। दवा के कुछ थोक कारोबारी सीधे मरीजों को दवाएं बेच रहे हैं। मरीज या उनके तीमारदार सीधे थोक व्यापारियों से बिना बिल के दवाएं खरीद रहे हैं। यह सब बिना बिलिंग के होता है। इसी का फायदा उठाकर नकली दवाएं भी खपा दी जाती हैं। सस्ते के फेर में ग्राहक न बिल देखते और न ही उसकी सत्यता। इसी वजह से दवा पर कंपनी का स्टीकर तो दिखता है मगर, उसका प्रभावी साल्ट नहीं होता। और मरीज पर कम असर होता है।
गौरतलब है कि ड्रग विभाग ने बसंत विहार की अर्शना कालोनी में छापा मारकर एक करोड़ से अधिक की दवा का जखीरा पकड़ा था। कहा गया कि उसमें सैंपल की दवाएं हैं। संभावना है कि यह दवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों व झोलाछापों तक पहुंचाई जाती है। सैंपल की कुछ दवाओं के बीच नकली दवाएं लगाकर कम दाम पर बिक्री करने की बात सामने आई है। सैंपल की दवाओं का इतना भंडार होना इसलिए भी अधिकारियों के गले नहीं उतर रहा, क्योंकि कंपनियों ने तो सैंपल की दवाएं बनानी ही कम कर दीं।
शहर के दवा बाजार में करीब छह महीने पहले खांसी का फैंसीडिल सीरप बेचने पर कड़ी कार्रवाई हुई थी। दिल्ली से नारकोटिक्स विभाग की टीम ने दवा बाजार पर छापा मारा था। इसके बाद दो कारोबारियों को उठाकर ले गई थी। उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा गया। फिर एक बार नकली दवाओं का बड़ा जखीरा मिलने पर यह कारोबार निशाने पर आ गया है। ड्रग इंस्पेक्टर विवेक कुमार सिंह ने बताया कि जांच में कई बड़ी कंपनियों की दवाएं मिली हैं। सभी दवाएं फिजिशियन सेंपल हैं, जिससे उनके नकली होने की संभावना है। जांच में नकली दवा पाए जाने पर ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धाराएं भी बढ़ाई जाएंगी।