लखनऊ। कोरोना संक्रमण से बचाव में लाभकारी मानी जा रही दवा आइवरमेक्टिन टेबलेट का संकट पड़ गया है। क्षेत्र के मेडिकल स्टोरों से यह दवा लगभग गायब हो चली है। गौरतलब है कि शहर में कोरोना मरीजों की संख्या 22 हजार पार हो गई है। होम आइसोलेशन से मेडिकल किट की डिमांड बढ़ गई है। इसमें मेडिकल डिवाइस से लेकर कई दवाएं शामिल हैं। दवा की कमी के बाद हरकत में आये जिला प्रशासन ने औषधि प्रशासन को दवा उपलब्धता को लेकर निर्देश दिए। ड्रग टीम ने पिछले दिनों शहर के मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी की। कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई दवा कहीं डंप तो नहीं मिली, मगर सभी मेडिकल स्टोर पर उनकी पहुंच नदारद मिली। स्थिति यह है कि जिले में 3,491 फुटकर दवा की दुकानें हैं। इनमें से 1800 पर ही आइवरमेक्टिन की उपलब्धता है। बता दें कि कोरोना मरीजों को सात दवाएं लेने की सलाह दी जा रही है। इसमें आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लीन, हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन, एजिथ्ररोमाइसि, जिंक, विटामिन-सी व विटामिन-डी थ्री है। इनकी बिक्री काफी बढ़ गई है। कोरोना काल व होम आइसोलेशन में होम हेल्थ मॉनीटङ्क्षरग का चलन बढ़ा है। लिहाजा, क्लीनिकों पर मिलने वाली मेडिकल डिवाइस घर-घर खरीदी जा रही है। ऐसे में पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। कॉरपोरेट दफ्तरों, सरकारी कार्यालयों में थर्मल गन, स्मॉल फॉगिंग मशीन, सैनिटाइजिंग फुट स्टैंड की डिमांड बढ़ गई है। ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार के मुताबिक, जिले में अभी दो लाख आइवरमेक्टिन दवा है। यह करीब 1800 मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हैं। सीएमओ डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक, आइवरमेक्टिन दवा का सेवन मरीज व उनके सपंर्क में आए लोग करें। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को तीन दिन तक 12 एमजी की एक-एक टेबलेट खाना खाने के बाद लेनी है, वहीं प्राइमरी व सेकंडरी कॉन्टैक्ट में आए व्यक्ति को पहले व सातवें दिन पर एक टेबलेट का सेवन करना है।