पटना (बिहार)। दीघा-दानापुर मुख्य मार्ग पर मेडिकल स्टोर के स्थान पर क्लीनिक चलता मिला। जांच करने के बाद चांदसी क्लीनिक के नाम जारी दवा विक्रय का लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया है। यह कार्रवाई सहायक औषधि नियंत्रक ने की। बता दें कि इस संबंध में राजद के पूर्व प्रदेश महासचिव की ओर से शिकायत की गई थी। शिकायत की जांच करने पर आरोप सही पाए गए। इस आधार पर उक्त क्लीनिक का लाइसेंस रद कर दिया गया है।

डॉक्टर के पास नहीं थी कोई वैध डिग्री 

जानकारी अनुसार, दीघा-दानापुर मुख्य मार्ग पर स्थित एक दवा बिक्री की दुकान पर लगे बोर्ड पर चांदसी फार्मा की जगह क्लीनिक लिखा हुआ था। दुकान पर कोई फार्मासिस्ट भी कार्यरत नहीं था। न ही प्रतिबंधित दवाओं के बिल व रजिस्टर रखे गए थे। हैरत की बात तो यह है कि इस क्लीनिक पर पिछले करीब 20 सालों से गंभीर रोगों का इलाज किया जाता रहा। यहां इलाज करने वाले डॉक्टर के पास कोई वैध डिग्री भी नहीं थी।

दवा के बिल व कैशमेमो नहीं मिले

यहां इलाज करने वाले डॉक्टर के पास एमबीबीएस, एमडी-एमएस की कोई डिग्री नहीं थी। इसके बजाय बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी (बीएमबीएस) की डिग्री थी। जब इस बारे दुकान संचालक से पूछा गया तो उसने बहाना बनाया कि दीपावली के दौरान साफ-सफाई चल रही थी। उसकी तबीयत खराब थी। इस कारण बिल व कैशमेमो इधर-उधर हो गया। जिसे अब वो दिखा पाने में असमर्थ है।

दवा की बिक्री करने पर रोक

दुकान संचालक ने जांच टीम को बताया कि दुकान का बोर्ड आजकल में लगाने वाले हैं। उसने सफाई दी कि ग्रामीण चिकित्सा कार्य के लिए उसे बिहार सरकार से आरएमसी प्रमाणपत्र मिला हुआ है। इस प्रमाण पत्र के आधार पर ही वह प्राथमिक इलाज का कार्य करता है। उसके इस जवाब से सहायक औषधि नियंत्रक संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर तत्काल प्रभाव से लाइसेंस रद कर दिया। इसी के साथ उन्होंने दवा की बिक्री करने पर रोक लगा दी।