बडग़ांव (गुजरात)। कस्बे में दवाओं की बिक्री में नियमों को दरकिनार कर मुनाफा कमाने का खेल चल रहा है। मेडिकल स्टोर का लाइसेंस किसी और के नाम और दुकान चला कोई और रहा है। कस्बे में करीब आधा दर्जन ऐसे मेडिकल स्टोर है, जो किराये के लाइसेंस पर संचालित हो रहे हैं। यह मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के चल रहे हैं। वहीं, अधिकांश इन मेडिकल स्टोर पर मरीजों का उपचार तक किया जाता है, जिसके कारण कई बार मरीजों की जान पर बन आती है।
बता दें कि बगैर फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर शुरू नहीं किया जा सकता। ऐसे में विभागीय अधिकारीयों की मिलीभगत से कस्बे में करीब आधा दर्जन से अधिक बगैर फार्मासिस्ट की दुकानें चल रही हैं। बिना फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर पर बिना प्रशिक्षण प्राप्त युवक मरीजों को दवा बेच रहे हैं। यह मामला औषधि नियंत्रण विभाग की जानकारी में होने के बावजूद अधिकारियों ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में यह धंधा दिनों दिन फल-फूल रहा है।
गुजरात राज्य की सीमा पर बडग़ांव समेत क्षेत्र में अवैध मेडिकल स्टोर का धंधा औषधि नियंत्रण विभाग के बूते से बाहर होता नजर आ रहा हैं। विभागीय अधिकारी क्षेत्र में अवैध मेडिकल स्टोर की जांच के नाम पर निरीक्षण के लिए दौरा जरूर करते हैं, लेकिन यह दौरा महज कागजी औपचारिकताओं में सिमट कर रहा जाता है।
कस्बे में किराए के लाइसेंस पर रहे रही अवैध दवा की दुकानों के साथ-साथ अवैध क्लीनिक भी चला रहे हैं। कस्बे में आग दवाई की दुकान खोल रही है,वहीं पीछे अवैध रूप से खोले गए क्लीनिक पर नीम हकीम द्वारा मरीजों का उपचार भी किया जाता हैं। जहां झोलाछाप बेहतर इलाज के नाम पर केवल ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं,बल्कि चांदी भी काट रहे हैं। दवाओं के अनधिकृत कारोबारियों को एलोपैथी दवाओं के डोज की किसी को जानकारी नहीं हैं, लेकिन यह किसी मेडिकल प्रेक्टिशनर की भांति मनमर्जी से डोज बताते हुए लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं। इससे लोगों को इन दवाओं के मनमाने डोज से तात्कालिक लाभ तो मिल रहा है पर साइड इफैक्ट के घेरे में आ रहे हैं। जिससे किडनी एवं लीवर खराब होने तक की बीमारियां पनप रही हैं।