नई दिल्ली। अब मेडिसिन की कम मात्रा भी ज्यादा असरदार होंगी। इसके लिए अल्ट्रासोनिक नॉन डिस्ट्रक्टिव विधि से दवाइयों को बनाया जाएगा। इसकी क्षमता ज्यादा होगी और मरीजों को लंबे समय के सेवन के दौरान कम मात्रा में लेनी होगी। बताया गया है कि इस विधि में नैनो पार्टिकल तकनीक से दवाइयों की क्षमता बढ़ाई या घटाई जा सकती है।

मरीजों को राहत मिलेगी

हाई पॅावर महंगी दवा लेने वाले मरीजों को जल्द ही राहत मिल सकेगी। उन्हें नई तकनीक की मदद से कम पावर की दवा ज्यादा राहत देगी। खुराक भी कम खानी पड़ेगी। वहीं ये दवाइयां सस्ती भी पड़ेेेेंगी। शरीर में कोई अंग प्रत्यारोपित होने किए जाने पर अल्ट्रासोनिक नॉन डिस्ट्रक्टिव विधि से उसकी कार्य अवधि भी बढ़ जाएगी।

पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने की खोज

गौरतलब है कि इस विधि की खोज पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भैया संस्थान के प्रो. प्रमोद कुमार यादव ने अपने सहयोगियों के साथ की है। फिलहाल इसके पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है। प्रो. प्रमोद का कहना है कि इस विधि से नैनो पार्टिकल तकनीक से दवाइयों की क्षमता बढ़ाई या घटाई जा सकती है। इस विधि के बाजार में आने से मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध होंगी। ये दवाएं कम मात्रा में खानी होगी लेकिन इसका असर हाई पावर दवाओं की तरह ज्यादा होगा।

अल्ट्रासोनिक नॉन डिस्ट्रक्टिव विधि से नैनो पार्टिकल के अनुप्रयोगों पर एक शोध किया गया है। इसमें ऐसे पदार्थ की खोज हुई है जो एक निश्चित दबाव पर रखने पर उसकी सक्रियता कई गुना बढ़ा देता है। इस विधि का प्रकाशन रिसर्च सोसाइटी ऑफ केमिकल जर्नल में किया गया है।

जिंक ऑक्साइड नैनो ट्यूब का प्रयोग

उन्होंने बताया कि इसमें जिंक ऑक्साइड नैनो ट्यूब का प्रयोग इंडस्ट्रीज और मेडिकल के फील्ड में जैविक संवेदक नैनो मेडिसिन बनाने तथा इसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए किया गया है। अल्ट्रासोनिक नॉन डिस्ट्रक्टिव विधि से ऐसी दवाइयां को बनाया जाएगा। इसकी क्षमता ज्यादा होगी और मरीजों को इस लंबे समय के सेवन के दौरान कम मात्रा में लेनी होगी।