नई दिल्ली। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि दुनिया भर में भारतीय मिशन देश में कोविड से संबंधित म्यूकोरमाइकोसिस (सीएएम) के इलाज में काम आने वाली दवा एंफोटेरिसिन या अतिरिक्त अथवा वैकल्पिक दवा हासिल करने के लिये “युद्ध स्तर” पर काम कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में शनिवार को दायर 375 पन्नों के एक हलफनामे में विस्तार से अदालत की पीठ को बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस की दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
उसने कहा कि अगस्त में घरेलू निर्माताओं द्वारा एल-एंफोटेरिसिन बी का अनुमानति उत्पादन 5.525 लाख इंजेक्शन का है और समान वितरण के लिये राज्यों को उनके यहां सामने आए मामलों के अनुपात में दवा दी गई है। सरकार ने कहा कि एफोटेरिसिन जैसी दवाओं का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उसने दवा के न्यायोचित वितरण के लिये भी दिशानिर्देश जारी किये हैं और राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों को निजी और सरकारी अस्पतालों में इनके आवंटन के लिये पारदर्शी व्यवस्था करनी होगी।
सरकार ने कहा, “एंफोटेरिसिन दवा घरेलू उत्पादन और आयात दोनों के जरिये उपलब्ध है और दोनों ही स्रोतों को बढ़ाया गया है। पहली बार मई और जून 2021 में अचानक मांग में तेज वृद्धि के बाद बेहद कम समय में क्षमता और आपूर्ति को कई गुना बढ़ाया गया जिससे मांग और आपूर्ति में संतुलन स्थापित हो। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामलों को दर्ज करवाने के लिये बनाए गए विशेष पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के हिसाब से राज्यों में इसके समान वितरण की भी व्यवस्था की जा रही है।”