शिमला। हिमाचल प्रदेश में फार्मेसी निदेशालय बनाने की सिफारिश की गई है। इस निदेशालय के बनने पर प्रदेश के अस्पतालों में खपत के अनुसार ही दवाओं की खरीदारी की जाएगी और बेवजह दवाओं की खरीद पर रोक लगेगी। इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर हिमाचल में फार्मासिस्ट का अलग से निदेशालय बनाने की सिफारिश की गई है। इस निदेशालय को बनाने की जरूरत बताई गई है कि अस्पतालों में आधार स्तर पर कई दवाएं बिना इस्तेमाल के ही एक्सपायर्ड हो जाती हैं। इसके लिए जरूरी है कि एक अलग से निदेशालय बनाया जाए। गौरतलब है कि सभी जिलों के सीएमओ स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए बजट के मुताबिक सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पतालों में दवाओं की खरीद कर लेता है। इसमें लगभग सभी प्रकार की दवाएं शामिल होती हैं। अगर किसी पीएचसी में स्थानीय लोगों में से गर्भवती महिलाएं मात्र दस फीसदी हैं, लेकिन बिना स्टडी के एक अनुमानित बजट के मुताबिक दवाएं खरीद ली जाती हैं, जिसके कारण बाद में यह दवाएं किसी अन्य को नहीं दी जा सकती और ये दवाएं विभाग को वापस करनी पड़ती हैं। वहीं मौसमी बीमारियों को लेकर भी ज्यादा संख्या में दवाएं खरीद ली जाती हैं। निदेशालय बनने के बाद अस्पतालों में कार्यरत फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसमें रिकार्ड रखा जाएगा कि कितने अस्पतालों में किस तरह के मरीज आ रहे हैं और किस तरह की दवाओं की खपत हो रही है। इन सभी बिंदुओं को चैक करने के बाद ही दवाओं की खरीदारी तय की जाएगी।