लखनऊ। उत्तर प्रदेश आने वाले समय में दवा उत्पादन या चिकित्सकीय काम में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का हब बनेगा, ऐसी संभवनाएं नजर आने लगी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए पहल भी कर दी है। बता दें कि भारतीय दवा उद्योग का दुनिया में तीसरा नंबर है। हालांकि, दवाओं के कच्चे माल के लिए भारत अभी चीन पर ही निर्भर है। कुछ दवाओं के कच्चे माल के संदर्भ में तो यह निर्भरता 80 से 100 फीसद तक है। कोरोना संक्रमण की शुरुआत चीन से हुई। स्वाभाविक रूप से कच्चे माल का संकट भी हुआ। इसके चलते नीति आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्र के संबंधित विभागों ने तय किया कि देश को दवाओं और चिकित्सकीय उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। देश में ही फार्मा और फार्मा उपकरण बनाने वाले पार्क बनाए जाएं। पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने भी देश में चार ऐसे पार्क बनाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री योगी ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री को पत्र भी लिखा है। पत्र में बताया गया है कि लखनऊ में केंद्र के चार दवा अनुसंधान केंद्र हैं। इनके शोध का स्तर बेहद स्तरीय है। इनके द्वारा कई रोगों की उच्च कोटि की दवाएं और चिकित्सकीय उपकरण बनाए भी जा रहे हैं। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर नोएडा का शुमार देश के विकसित औद्यौगिक क्षेत्रों में होता है। वहां जेवर में अंतराष्ट्रीय ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बन जाने से निर्यात भी आसान हो जाएगा। सरकार की नई औद्योगिक और फार्मा नीति भी निवेशकों के बेहद मुफीद है। प्रधानमंत्री की मंशा अगले पांच वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रीलियन डॉलर बनाने का है। उसी क्रम में उसी अवधि में हम उप्र की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करना चाहते हैं। इसलिए उप्र को प्रस्तावित चार बल्क ड्रग्स या मेडिकल डिवाइस पार्क आवंटित करने का अनुरोध किया गया है। एमएसएमई के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि फर्मा हब बनाने वाले प्रस्ताव में अभी केन्द्र सरकार विचार कर रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में बृहद स्तर पर प्रस्ताव बना रहा है. डीपीआर तैयार कराई जा रही है। केन्द्र से हरी झण्डी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि जिन राज्यों में इन पार्कों का निर्माण होगा, उनको केंद्र सरकार की ओर से तमाम रियायतें मिलेंगी। सरकार उन पार्कों में साल्वेंट रिकवरी प्लांट, कॉमन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट और दवाओं की जांच के लिए प्रयोगशाला बनाकर देगी। इसके अलावा उत्पाद के आधार पर भी प्रोत्साहन देय होगा। इससे देश दवाओं और मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा।