देहरादून। उत्तराखंड के 13 जिलों में 6 ड्रग इंस्पेक्टर औषधि प्रशासन का कार्य संभाले हुए हैं जो जरूरत अनुसार काफी कम है। उत्तराखंड के राज्य औषधि नियंत्रक तेजबीर सिंह ने मेडिकेयर न्यूज से चर्चा में बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री ने विभाग की जरूरत पर गहन विचार- विमर्श करते हुए 14 ड्रग्स इंस्पेक्टर और लगाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। तेजबीर बताते हैं कि राज्य में विभाग की चौकन्नी निगाह के लिए 30 और ड्रग्स इंस्पेक्टर की जरूरत है। इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि अभी 14 की नियुक्ति हो जाने दो, फिर जरूरत पड़ी तो और फील्ड फोर्स उपलब्ध करवा दी जाएगी।
बता दें कि राज्य में करीब 210 औषधि निर्माण इकाइयां कार्यरत हैं तथा करीब 40 इकाइयां कॉस्मेटिक उत्पाद तैयार करती हैं। इन सब पर चौकन्नी नजर के लिए फील्ड फोर्स का बढऩा समय की जरूरत भी है। वहीं राज्य में तैनात अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र (औषधि निर्माण) में तैनात औषधि प्रशासनिक अधिकारी पर इन दिनों लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बरस रही है। उनसे किसी भी मुद्दे पर बात करना चाहो तो उनका सम्पर्क नंबर रेंज से बाहर मिलता है। इतना ही नहीं, राज्य औषधि नियंत्रक तेजबीर भी उस अधिकारी से विभाग की जरूरत अनुसार बात करना चाहें तो कई दिन तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण अधिकारी की विभागीय एवं नैतिक जिम्मेदारी का आभास हो जाता है कि वह निर्माताओं का काम करने के लिए निजी तौर पर उनके संपर्क में रहते हैं तथा अपने संवाद माध्यमों को अपने से काट देते हैं। इस अधिकारी के राज्य औषधि नियंत्रक के पास एक कार्यालय में दो व अन्य ड्रग इंस्पेक्टरों के पास अलग संपर्क नंबर हैं परंतु तीनों नंबरों पर किसी भी अधिकारी से बात नहीं हो पाती। मेडिकेयर न्यूज संवाददाता ने करीब एक माह तक इस अधिकारी से बात करने के लिए तीनों नंबरों पर अलग-अलग नंबरों से संपर्क साधना चाहा लेकिन तीन में से दो नंबर कवरेज क्षेत्र से बाहर व तीसरा नंबर नौ अंकों का होने के कारण संपर्क नहीं हो पाया। सोचने वाली बात कि ऐसे में ना जाने विभाग व राज्य औषधि नियंत्रक के संपर्क में कब आते होंगे और कब सरकार के आदेशों की पालना करते होंगे। कुछ भी हो निर्माता इकाइयों से संबंधित इन ड्रग इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान एवं उंगलियां उठना स्वभाविक ही है।