रायपुर (छग)। राजधानी में जरूरत का पूरा सामान दिनभर उपलब्ध है। रात करीब आठ बजे शहर लगभग बंद हो रहा है और मोटे तौर पर उस वक्त तक लोगों की रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी हो रही हैं, लेकिन अगर कोई इमरजेंसी हो और दवाइयां लेने की जरूरत पड़े तो ऐसे लोगों के लिए पिछले एक हफ्ते से बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि राजधानी में रात 10 बजे के बाद शहर में एक भी मेडिकल स्टोर खुला नहीं है। दवा कारोबारियों के मुताबिक रात में इक्का-दुक्का लोग आते हैं, जिनकी वजह से इतना बड़ा स्टोर खोलना असंभव है। दरअसल, कोरोना काल की वजह से सभी संस्थान खर्चों में कटौती की राह पर चल रहे हैं। एसोसिएशन का दावा है कि निजी अस्पतालों के स्टोर खुले रहते हैं, लेकिन दिक्कत ये है कि इन स्टोर्स में वही दवाइयां आमतौर पर मिलती हैं, जो संबंधित नर्सिंग होम के डाक्टर लिखते हैं। प्रशासन का दावा है कि मेडिकल स्टोर खोलने से मना नहीं है, लेकिन अगर रात में दवा नहीं मिल रही है तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था तुरंत करनी होगी। रायपुर के मेडिकल कारोबारी संघों के पदाधिकारियों का तर्क है कि निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में 50 से ज्यादा दवा दुकानें रात में खुल रही हैं। लेकिन ये दुकानें सभी लोगों के काम की नहीं क्योंकि कोरोना के कारण ज्यादातर लोग अस्पतालों के आसपास फटकने से बच रहे हैं। कई जगह पूछताछ इतनी ज्यादा है कि लोग जाना नहीं चाहते। निजी नर्सिंग होम के मेडिकल स्टोर अधिकतर वहीं दवाइयां रखते हैं जो उनके अस्पताल के उपयोग की हैं। इसलिए कई बार लोग गए भी हैं तो उन्हें जरूरत की दवाइयां नहीं मिली। इस वजह से काफी लोग रात में दवाइयों के लिए भटकते देखे जा सकते हैं। कुछ मेडिकल स्टोर वालों का दावा है कि शाम 7 बजे बाजार बंद होता है और उसके दो-तीन घंटे के भीतर मेडिकल स्टोर्स भी सूने होने लगे हैं। रात 10 बजे के बाद इक्का-दुक्का लोग ही दवा खरीदने आते हैं, इसलिए स्टोर बंद कर रहे हैं। क्योंकि जितने बड़े स्टोर हैं, अगर वह रातभर खुले हैं तो स्टाफ, गार्ड तथा दूसरे खर्च रहते हैं। लोग ही नहीं आए, ऐेस में स्टोर खोलने का कोई लाभ नहीं है। अब दुकानों के संचालक भी इतना अतिरिक्त खर्च उठा पाने में समर्थ नहीं रह गए हैं। यहां तक कि जिन मेडिकल स्टोर्स की बड़ी चेन है, वे भी पिछले चार-पांच दिन से रात 10 बजे के बाद बंद हो रहे हैं।