चंडीगढ़। रेमडेसिविर इंजेक्शन को ज्यादा कीमत पर बेचने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने FIR को कैंसिल कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 22 के अनुसार तलाशी और जब्ती की शक्ति केवल ड्रग इंस्पेक्टर के पास है। पुलिस को इन मामलों में सीधे कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है।

यह है मामला

चंडीगढ़ की मेसर्स हेल्थ बायोटेक लिमिटेड के निदेशक गौरव चावला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। रिट में आईपीसी की धारा 420 और 120-बी व अन्य धाराओं में चंडीगढ़ में दर्ज एफआईआर कैंसिल करने की मांग की गई थी।

याची ने कहा कि आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का आरोप साबित करने के लिए न तो कोई साक्ष्य है और न ही सबूत। याचिकाकर्ता के खिलाफ पैसे देने या किसी व्यक्ति को धोखा देने का कोई आरोप नहीं लगाया गया। याचिकाकर्ता की कंपनी से इंजेक्शन की जब्ती पुलिस नहीं कर सकती। यह अधिकार केवल ड्रग इंस्पेक्टर के पास होता है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगा बेचने का आरोप

याची पर आरोप है कि बिना किसी लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन को ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है। पुलिस ने याची के प्रतिष्ठान पर छापा मारने के बाद इंजेक्शन जब्त कर लिए थे।

रेमडेसिविर इंजेक्शन

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस के पास परिसर का निरीक्षण करने और इंजेक्शन जब्त करने का कोई अधिकार नहीं था। ऐसे में तलाशी और जब्ती कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की गई। इस तरह के सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके चलते हाईकोर्ट ने एफआईआर को कैंसिल कर दिया।