महराजगंज। भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में रैपर बदल कर नशीली दवाइयों की तस्करी जोरों पर है। नेपाल के औषधि विभाग को चकमा देकर यह खेल खेला जा रहा है। नेपाल के गांवों में स्थित अवैध मेडिकल स्टोर व भारतीय मेडिकल स्टोर संचालकों की सांठ -गांठ में यह कारोबार फल-फूल रहा है। गौरतलब है कि एलोपैथिक, नशीली दवाएं, टेबलेट, कैप्सूल व नशीले इंजेक्शन को चीनी व खाद के बोरों,सब्जियों, दूध के डिब्बों में व मैले-कुचैले गैलनों में भरकर बार्डर पर तैनात एसएसबी जवानों को चकमा देते हुए नेपाल भेज दिया जा रहा है।
दरअसल सोनौली कोतवाली क्षेत्र के हरदीडाली गांव के पास बरामद की गई पांच बोरी उर्वरक का 12 दिन बाद भी पता नहीं चल रहा है। उर्वरक एसएसबी बीओपी हरदीडाली के जवानों ने बरामद किया था। एसएसबी के उप सेना नायक जीत लाल का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं आया है। जांच कर सत्यता का पता लगाया जाएगा। तस्करों की गतिविधियों पर अंकुश लगाएंगे। तो वहीं पड़ोसी देश नेपाल में भारतीय कंपनियों की दवाओं की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध है। ऐसे में कम लागत और अधिक मुनाफा देखते हुए रैपर बदलकर इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।पिछले महीने खनुआ चौकी पुलिस ने जांच के लिए गत्ते में रखा संदिग्ध समान रोका था। जांच के बाद सभी सामान को छोड़ दिया गया। पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने कहा कि नशीली दवाइयों की तस्करी पर हर हाल में अंकुश लगाया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्र के थानाध्यक्षों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं।