जयपुर। ड्रग डिपार्टमेंट के एक इंस्पेक्टर ने दवाओं के वे सैंपल ही बदल डाले, जो औषधि विभाग के अधिकारियों ने सील पैक कर दिए थे। इस बात का पता तब चला, जब अमानक घोषित की गई दवा के लिए कंपनी ने अपील कर दी। बदनामी से बचने के लिए चिकित्सा विभाग ने आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। साथ ही एक आदेश भी जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी सैंपल के अंतिम निस्तारण से पहले किन्हीं भी स्थिति में सैंपल से छेड़छाड़ नहीं की जाए। यदि ऐसा किया गया तो विभाग की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जानकारी अनुसार ड्रग डिपार्टमेंट ने सीकर के ओमेप्रोजोल डोमपेरिडोन एंड सिमेथिकॉन टैबलेट (बैच नम्बर आरओडी 019) के सैंपल लिए थे।
चेन्नई की सुरेन फार्मास्यूटिकल के सैंपल फेल हुए तो कंपनी ने उच्च स्तर पर अपील की और फिर सैंपल केन्द्रीय औषधीय प्रयोगशाला में सैंपल भेजा जाना तय हुआ। लेकिन सीकर से जो सैंपल कोलकाता के लिए भेजे गए, वे बदल दिए गए। मतलब यह कि इन दवाइयों की पांच स्ट्रिप में से तीन स्ट्रिप तो बैच नम्बर आरओडी 019 की थी, लेकिन दो स्ट्रिप बदल दी गई। इन दो स्ट्रिप का बैच नम्बर सीडीएच-016 था। हैरानी की बात है कि बैच नम्बर सीडीएच-016 की ये वे स्ट्रिप थी जो कि वर्ष 2016 की मेन्युफेक्चरिंग थी और यह सैंपल फेल होने के बाद का बैच था। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि मामले की जांच में इंस्पेक्टर मनोज गठवाल को दोषी पाया गया है। सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गई है।
मामले में औषधि नियंत्रण संगठन ने एक पत्र जारी कर सभी ड्रग ऑफिसर्स को कहा है कि सैंपल लेने के बाद जांच और उस मामले के निस्तारण से पहले उसमें कोई छेड़छाड़ या बदलाव या खुर्द-बुर्द किया गया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।