नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए देश में लागू 21 दिन का लॉकडाउन आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने लॉकडाउन को 90 दिन तक बढ़ाने की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि अभी लॉकडाउन को 14 अप्रैल से बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। इससे पहले केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सख्ती से लॉकडाउन लागू करने के निर्देश दिए थे। इसमें चूक होने पर जिले से डीएम और एसपी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
लॉकडाउन के बीच दिल्ली, मुंबई, सूरत समेत अन्य बड़े शहरों से दिहाड़ी मजदूर और कामगार हजारों की तादाद में पैदल अपने राज्यों की ओर जा रहे थे। इन्हें रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आपदा फंड के नियमों में बदलाव किया था। गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि वे मजदूरों के लिए अस्थाई शिविर बनाने, खाना और मेडिकल सुविधा के लिए आपदा फंड की राशि खर्च कर सकते हैं। साथ ही कहा कि बॉर्डर पर मजदूरों का मूवमेंट रोका जाए। इन लोगों को सीमाओं पर ही 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन किया जाए। मजदूरों के पलायन पर चर्चा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर मंत्री समूह की बैठक भी हुई। सरकार ने सभी कंपनियों, दुकान मालिकों और अन्य संस्थानों से कहा है कि वे बिना किसी कटौती के अपने वर्कर्स की बकाया सैलरी का भुगतान करें और इसमें कोई देरी ना की जाए। राज्यों की पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी किराएदार से मकान मालिक एक महीने तक किराया ना मांगे, ताकि वे जहां हैं वहीं बने रहें। राज्यों से कहा है कि राज्य आपदा कोष से बॉर्डर पर ही मजदूरों के लिए खाने-पीने और स्क्रीनिंग के बाद उनके क्वारैंटाइन का इंतजाम किया जाए। लॉकडाउन के दौरान लोगों की आवाजाही को लेकर गृह मंत्रालय ने कहा कि हम लॉकडाउन को सख्ती से लागू कराने के लिए 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी राज्य की बॉर्डर या हाईवे पर लोगों की आवाजाही न हो। अगर आदेश के क्रियान्वयन में चूक हुई, तो उसके लिए जिले के कलेक्टर/डिप्टी कमिश्नर और एसपी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे।