नई दिल्ली : आज वर्ल्ड किडनी डे है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय-समय पर परखी गयीं ‘पुनर्नवा’, ‘गोखरू’ और ‘वरुणा’ जैसी जड़ी-बूटियां किडनी के गंभीर रोगियों के लिए जीवनरक्षक हो सकती हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर के एन द्विवेदी ने इन जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ये निष्क्रिय हो चुके किडनी की कोशिकाओं में नयी जान डाल सकती हैं।
उन्होंने कहा, नीरी-केएफटी ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो पुनर्नवा, अश्वगंधा और गुडुची जैसे औषधीय पादपों पर आधारित है जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं।
प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि ‘वरुणा’ का पौधा जहां रक्त का अच्छा शोधक है वहीं ‘गोखरू’ किडनी के नेफ्रोन के पुनरुद्धार में सहायक है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की जड़ी-बूटियों से अनेक रोगियों ने लाभ उठाया है। एमिल फार्मास्युटिकल ने गहन अनुसंधान के बाद नीरी-केएफटी दवा विकसित की है।