रुड़की। रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में पकड़ी गई नकली दवाओं की फैक्टरियों से अब यह बात सामने आई कि ये दवाएं देश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई की जाती हैं, लेकिन हाल ही में कोरियर के जरिए दवाइयों की सप्लाई करने का मामला पकड़े जाने के बाद आशंका जताई जा रही है कि विदेशों में भी नकली दवाइयां सप्लाई की जा रही होंगी। हालांकि, ड्रग विभाग ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।
रुड़की क्षेत्र में आए दिन पकड़ी जाने वाली नकली दवाएं और दवाई बनाने वाली फैक्टरियों के पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। यह गिरोह देशभर के कोने-कोने में अपनी पैठ बना चुका है। इसके चलते ड्रग विभाग भी सक्रिय हो गया है। अब तक ड्रग विभाग की नजर दवाई सप्लाई मामले में सड़क मार्ग पर रहती थी, लेकिन एक सप्ताह पूर्व ड्रग विभाग ने एक कोरियर सेंटर पर छापामारी की तो बड़ी संख्या में नकली दवाएं बरामद हुईं। साथ ही पता चला कि नकली दवाओं के सप्लायरों ने दवाई सप्लाई करने के लिए कोरियर को अपना हथियार बनाया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नकली दवाओं से जुड़ा गिरोह देश के बाहर भी दवाएं सप्लाई कर रहा होगा। बाहर दवाई सप्लाई करने की आशंका को बल इस लिए भी मिलता है कि करीब छह महीने पहले भगवानपुर के सिकंदरपुर में नकली दवाएं पकड़ी गई थीं। तब जांच में सामने आया था कि बिलों पर दुबई की कंपनियों का नाम लिखा मिला था। अब ड्रग विभाग दूसरे राज्यों के ड्रग विभाग के अधिकारियों से संपर्क साध रहा है। हालांकि, ड्रग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विदेशों में नकली दवाइयों की सप्लाई करने की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी इस पहलू पर जांच की जा रही है।
ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि मेरे डेढ़ साल के कार्यकाल में करीब 12 करोड़ रुपये की नकली दवाएं और मशीनें पकड़ी गई हैं। इससे पहले चार साल में करीब 25 करोड़ की नकली दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं। विभाग की अब ट्रांसपोर्ट के अलावा कोरियर, प्राइवेट बसें, रोडवेज बसें, निजी वाहन और डग्गामार वाहनों पर भी नजर है। क्षेत्र में नकली दवाओं के धंधे को पनपने नहीं दिया जाएगा।