नई दिल्ली। अब भारतीय कंपनियों को भी देश में गंभीर बीमारियों के साथ-साथ ऑर्गन ट्रांसप्लांट में इस्तेमाल होने वाली महंगी पेटेंट दवा बनाने का अधिकार मिल सकेगा। इसके लिए भारत सरकार कई देशों से पेटेंट दवा का फॉर्मूला शेयर करने पर विचार कर रहा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद के अनुसार कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भारत विदेशों की उन कंपनियों से दवा खरीदती है जिस पर उस कंपनी का एकाधिकार है। यदि ये कंपनियां दवा बनाने का फार्मूला शेयर करती हैं तो सरकार की ओर से उन्हें बातचीत करके एक रकम भी दी जा सकती है। इसके अलावा, दवा का इस्तेमाल भारत अपने मरीजों के लिए करेगा कि तैयार दवा को विदेशों में निर्यात करेगा। पहले दौर में कैंसर, मधुमेह, ट्यूबरक्लोसिस, एंटी लिपिड ड्रग्स, कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण के लिए दवा बनाने वाली कंपनियों से समझौता किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा का कहना है कि दवा कंपनियों और नेशनल रेगुलेटरी अथॉरिटी एंड फॉर्मास्यूटिकल के बीच सामंजस्य हो और पारदर्शिता के साथ काम करें। मेडिकल डिवाइस बनाने वाली और कंपनियों को आगे आना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय कानून आसान बनाएंगे: अगले माह से डब्ल्यूएचओ की उपमहानिदेशक का कार्यभार संभालने जा रही डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत के अलावा दूसरे देशों के मरीजों को भी सस्ती दवा मिल पाए, इसके लिए कंपनियों से बातचीत करेंगी। मेडिकल इक्यूपमेंट और दवा के आयात-निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों को आसान बनाया जाएगा।