नई दिल्ली

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर सात भारतीय में से एक भारतीय के मलेरिया से ग्रसित होने का खतरा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान और इथियोपिया में पूरे विश्व की जनसंख्या के 80 फीसद लोग मलेरिया के शिकार हैं। मगर, इन देशों में सरकारें मलेरिया पर रोकथाम के लिए कम खर्च करती हैं।

मलेरिया का फैलाव-नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 13 करोड़ लोगों में मलेरिया के लक्षण देखे गए थे। इसमें करीब 1 करोड़ लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई थी।

मलेरिया से मरने वालों की संख्या 2012 में जहां 519 थी, वहीं 2014 में ये आंकड़ा 562 पर पहुंच गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आंकड़े में ये इजाफा ओडिशा और त्रिपुरा में मलेरिया के फैलने की वजह से हो सकता है। ओडिशा में तीन लाख 95 हजार लोगों में मलेरिया के लक्षण देखे गए, जबकि छत्तीसगढ़ और झारखंड दूसरे और तीसरे स्थान पर थे। भारत में मलेरिया के बढ़ रहे खतरे की वजह प्रतिबंधित दवाओं के इस्तेमाल को बताया जा रहा है। हालांकि, दवाओं के असर को जानने के लिए हर साल 15 मरीजों का अध्ययन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन खतरों के बावजूद भारत में मलेरिया के फैलाव पर 2016 के अंत तक पचास फीसद तक की कमी हो सकती है, लेकिन ये सब सरकार के प्रयासों पर निर्भर करेगा।