नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई में देश के डॉक्टर और शोधकर्ता काफी शिद्दत से लगे हुए हैं। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ सेन का कहना है कि इस महामारी के लिए वैक्सीन पर शोध जोर-शोर से चल रहा है। उन्होंने कहा कि कई देशों की तरह भारत भी वैक्सीन पर शोध कर रहा है। इसके साथ ही उन दवाओं का भी ट्रायल चल रहा है जो पहले से दूसरी बीमारी में इस्‍तेमाल होती रही हैं। ये वो दवाएं हैं जो वायरस से संक्रमित मरीज को ठीक करने में मददगार साबित हो सकती हैं। ऐसी ही दवाई का प्रयोग पीजीआई चंडीगढ़, भोपाल और दिल्ली स्थित एम्स में ट्रीटमेंट के तौर पर हो रहा है। इसका नाम माइक्रो बैक्ट्रियम डब्‍ल्‍यू है। इसका प्रयोग पहले कुछ बीमारियों के लिए किया जा चुका है। अब इस दवा का प्रयोग कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में किया जा रहा है। कुछ लोगों में इसका ट्रायल सफल हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के लिए वैक्सीन पर भी शोध हो रहा है।
वैश्विक महामारी कोरोना के इस संकट काल में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने देश में चल रहे लॉकडाउन के फेज तीन के दौरान और भी संयम बरतने की जरूरत पर जोर दिया है। देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू हो गया है। कई जिलों में कुछ विशेष छूट दी जा रही है। इस बीच कोविड19 की लड़ाई में देश कहां पहुंचा और अब तक हुए लॉकडाउन का कितना असर पड़ा इसे लेकर भी लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। जिस पर जानकारी देते हुए दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एम के सेन ने बताया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने से रोकने के लिए अब तक जितने भी कदम उठाए गए हैं उनका देशवासियों को निश्चित ही बहुत फायदा हुआ है, पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे यहां आंकड़े काफी कम हैं। जितना अनुमान लगाया गया था, उसकी तुलना में भारत में काफी कम मामले अब तक आए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले के दो लॉकडाउन की वजह से हो पाया । लॉकडाउन 3.0 में तो और भी ज्यादा संयम बरतने की जरूरत है।
लॉकडाउन लगाने से पहले भारत में वायरस में स्थिति और संक्रमण को लेकर जो भविष्यवाणी की गई थी वह बहुत हद तक गलत साबित हुई है। क्योंकि देश में लगाए गए लॉकडाउन देशवासियों को काफी लाभ हुआ है। हमारे देश में संक्रमण के फैलने की रफ्तार कम हो गई। क्योंकि भारत की आबादी के लिहाज से यहां संक्रमण बढ़ने का आंकड़ा बहुत ज्यादा बताया गया था। अब जब लॉकडाउन से काफी फायदा हुआ है, देश में वायरस के खिलाफ तामाम तैयारी कर ली गई है, तो धीरे-धीरे जनजीवन भी धीरे-धीरे सामान्य करने की ओर सरकार आगे बढ़ रही है। कई जिले, जहां वायरस का एक भी मरीज नहीं है, वहां कुछ शर्तों के साथ छूट दी गई है, हालांकि अभी सभी दिशा-निर्देश वैसे ही लागू रहेंगे। वायरस का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है।
वैसे तो इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने के लिए हमारे देश के डॉक्टर और शोधकर्ता वैक्सीन की खोज के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। दवाइयों का ट्रॉयल भी सफल हो रहा है, फिर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ये सारी चीजें बाजार में आ नहीं जातीं तब तक लोगों को खुद भी बाहर जाने के दौरान विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जो लोग लॉकडाउन में मिली छूट के बाद काम से या दुकान आदि खोलने के लिए बाहर जा रहे हैं उन्हें विशेष सावधानी रखनी है। क्योंकि ये परीक्षा की घड़ी है। जिसमें अनुशासन, संयम और सुरक्षा पर ध्यान रखना है। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग, हैंडवाश आदि नियमित रूप से करना है। बाहर निकलें तो एक निश्चित सुरक्षित दूरी बना कर रखें। ऑफिस या कहीं बाहर जा रहे हैं तो टेबल, कुर्सी, दरवाजे की कुंडी आदि अगर टच करें तो तुरंत हाथ धोएं या फिर सेनिटाइज कर लें। अगर इस बीच ज़रा भी सर्दी जुकाम या कुछ लक्षण नजर आएं तो घर पर रहें।
लॉकडाउन में भले ही ढील दी गई है, लेकिन स्थानीय लोगों को भी इसे गंभीरता से लेना होगा। अभी खतरा खत्म नहीं हुआ है और जो भी प्रशासन के दिशा-निर्देश हैं उसका पालन करें क्योंकि खुद के साथ ही परिवार और जिले को भी सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी खुद की है। डॉ. सेन ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ ही आरोग्य सेतु ऐप को फोन में रखना जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, उनके लिए सरकार प्रयास कर रही है कि कैसे फीचर फोन में इस ऐप का प्रयोग करें। हालांकि सरकार फोन करके भी लोगों को दिशा-निर्देशों के बारे में बता रही है। इसलिए भले ही स्मार्टफोन नहीं है, लेकिन अगर घर में किसी के भी पास है तो आरोग्य सेतु ऐप जरूर डाउनलोड करें। यह वायरस के संक्रमण से बचने में बहुत मददगार है। इससे वायरस से जुड़ी तमाम जानकारी भी मिलती रहती है।