लुधियाना। कोरोना महामारी में हजारों लोगों ने जान गवा दी। तो वहीँ दूसरी तरफ कोरोना वायरस को मात देने के लिए लोग भरपूर मात्रा में प्रोटीन ले रहे है। क्यों कि सभी लोग इस बीमारी से बचना चाहते है। अब इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने प्रोटीन वाले बिस्कुट तैयार किए है। दावा किया जा रहा है कि ये प्रोटीन वाले बिस्कुट दवा का भी काम करेंगे। इसी दौरान गुरु अंगद देव वैटर्नरी व एनिमल सांइसेज यूनिवर्सिटी (गडवासू) के वैज्ञानिकों डा अजीत सिंह,डा विजय रेड्डी,डा नितिन मेहता व डा पवन की टीम ने फिश के मीट से प्रोटीन भरपूर बिस्कुट तैयार किए है। उन्होंने दावा किया कि ये बिस्कुट दवा का भी काम करते है। जहां हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है,वहीं बच्चों कीे सेहत के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है।

इन वैज्ञानिकों की माने तों फिश सेे जब उत्पाद तैयार किए जाते है तों जो उस समय वेस्टज निकलती है,उसको भी उत्पाद बनाने में इस्तेमाल में लाया जाता है। इस वेस्टज से फिश मील व साइलेज तैयार किए जाते है। जो जानवरों व मछलियों की खुराक के रूप में काम आते है।फिश पापड़,फिश कटलेट,फिश आचार,फिश वेफ र्स,फिश बॉल,फिश फिंगर्र्र्र्स व फिश सॉस आदि उत्पाद यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको ने तैयार किए है। इन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इन सभी उत्पादों की लाइफ 6 महीने से अधिक समय की है।

वैज्ञानिक डा अजीत सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी सांझीं करते हुए बताया कि बाजार से मिलने वाले बिस्कुट में 75फीसदी से अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। प्रोटीन की मात्रा केवल 5 फीसदी होती है। जब कि फाइबर 1 फीसदी के करीब होता है। बाजारी बिस्कुट न्यूट्रीशनल की कमी को पूरा नहीं करते। इस लिए ही शूगर समेत अलग अलग रोगों से पीडि़त लोग बाजारी बिस्कुट खाने से किसी हद तक परहेज करते है। उन्होंने बताया कि फिश के मीट से तैयार किए फिश बिस्कुट में कार्बोहाइड्रेट 50 फीसदी के करीब होता है जब कि प्रोटीन की मात्रा 17फीसदी से अधिक होती है। इन बिस्कुटो की एक ये भी विशेषता है कि रूम टेंपरेचर में कम से कम दो महीने तक सुरक्षित रह सकते है।